रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल की प्रायोगिक परीक्षाएं नजदीक आ चुकी हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल के शेड्यूल के अनुसार, आज से 20 दिन बाद अर्थात 10 जनवरी से दसवीं बारहवीं की प्रायोगिक परीक्षाएं प्रारम्भ हो जाएंगे। वहीं महाविद्यालयों में प्रथम वर्ष की प्रायोगिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के स्कूल और कॉलेजों की प्रयोगशाला का जब हरिभूमि ने जायजा लिया, तो वही पुरानी तस्वीर सामने आई।
रायपुर, बिलासपुर जैसे शहरों में तो सिस्टम ठीक है, लेकिन आउटर में हालत अच्छी नहीं है। यहां न तो सही तरीके से उपकरण ही उपलब्ध कराए गए हैं और न ही पर्याप्त केमिकल्स ही मौजूद हैं। कई स्कूलों में तो लैब की स्थापना ही नहीं की गई है। इसी प्रकार, कई प्रयोगशाला तो बीते लंबे समय से बंद पड़ी हुई है। हरिभूमि ने भिलाई, गरियाबंद के मैनपुर, धमतरी सहित अन्य स्थानों की पाठशालाओं के प्रयोगशाला का जायजा लिया।
कहीं खराब माइक्रोस्कोप, तो कहीं एलीमिनेटर नहीं
दुर्ग जिले के सरकारी हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों के लैब में कहीं माइक्रोस्कोप खराब हो गए हैं जो कहीं एनीमिनेटर नहीं है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला टंकी मरोदा के बॉयोलॉजी लैब में पूरे छह माइक्रोस्कोप खराब पड़े हैं। वहीं शिक्षक का कहना है कि नए माइक्रोस्कोप आए है। इस लैब की दीवारों में सीलन ही सीलन है। जिस जगह पानी का उपयोग विद्यार्थी करते हैं, वहां गंदगी का आलम है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला टंकी मरोदा में विद्यार्थियों के हिसाब से प्रैक्टिकल कक्ष नहीं हैं। एक ही कक्ष है वहां विद्यार्थी आधी छुट्टी में लैब में ही बैठकर लंच करते मिले। वर्ष 2023 में इस स्कूल का उन्नयन हुआ है। विद्यार्थी बताते हैं कि बारहवीं तक के विद्यार्थी यहां अध्ययनरत हैं, लेकिन उस हिसाब से लैब व उपकरण नहीं है। इसलिए प्रैक्टिकल करने जूझना पड़ता है। कमोबेश ऐसी स्थिति दुर्ग जिले में ज्यादातर स्कूलों की है। जिले में 54 हाईस्कूल और 135 हायर सेकंडरी स्कूल हैं। इन स्कूलों के 31 हजार 103 विद्यार्थियों को जनवरी में प्रायोगिक परीक्षाएं दिलानी होंगी।
इसे भी पढ़ें...न्यायिक सेवा भर्ती: दिव्यांग आरक्षण में राज्य सरकार ने किया बदलाव, मिलेगा एक प्रतिशत आरक्षण
प्रैक्टिकल से पहले खोलना पड़ता है खजाना
धमतरी के आत्मानंद स्कूल गोकुलपुर की प्राचार्य सैलजा पांडेय बताती हैं कि केमेस्ट्री, फिजिक्स, बायोलॉजी के प्रैक्टिकल के लिए सामग्री तो है लेकिन कक्ष की कमी है, जहां प्रैक्टिकल रूम है वहां बॉयोलाजी की क्लास लगती है। जब प्रैक्टिकल कराना होता है तब रूम की आलमारियों, पेटियों में रखे सामानों को निकाला जाता है। प्रैक्टिकल के बाद पुनः लैब की सामग्री को आलमारी, पेटियों में रखकर क्लास संचालित करते हैं। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हो रहा है। आगामी साल में इस समस्या का निराकरण हो पाएगा।
कबाड़खाने में पड़े हैं उपकरण, कहीं सामान ही नहीं
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मैनपुर में प्रयोगशाला भवन का निर्माण 2 वर्ष पहले किया गया है, लेकिन विद्यालय में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए कमरों की कमी के चलते इस प्रयोगशाला में कक्षा ग्यारहवीं की छात्र छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। लैब उपकरण कबाड़खाने में हैं। जब कभी बच्चों को कुछ प्रयोगशाला से संबंधी जानकारी देना होता है तो उसे बाहर निकाला जाता है और बच्चों को बताया जाता है। तहसील मुख्यालय मैनपुर में प्रयोगशाला के सामग्री उपकरण शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नहीं के बराबर है और पिछले कुछ वर्षों से नाम मात्र की सामग्री ही यहां उपलब्ध हो पाई है। क्षेत्र के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धुर्वागुड़ी में भी बच्चों को प्रायोगिक जानकारी देने के लिए सामान को बाहर निकाला जाता है। इसी तरह विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीपदर, उरमाल, मुडगेलमाल, मुचबहाल में प्रयोगशाला से संबंधित सामग्री का भारी अभाव बना हुआ है।
कक्ष नहीं उपकरणों की भी कमी
मोहला के कई स्कूलों में प्रैक्टिकल के लिए अलग से कक्ष नहीं हैं। उपकरणों की भी कमी है। मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में स्थापित 87 हाईस्कूल तथा हायर सेकंडरी स्कूलों में अध्यनरत सैकड़ों छात्र-छात्राएं अपने भविष्य के ऊंचाइयों को साकार करने में लगे हुए हैं। जिले के 36 हाईस्कूल तथा 51 हायर सेकंडरी स्कूलों में फिजिक्स,केमिस्ट्री, बायो जैसे विषय की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के पास उनके स्कूलों में प्रैक्टिकल के लिए व्यवस्थित अलग से रूम नहीं है। हरिभूमि की पड़ताल में सामने आया है कि स्कूल के ही एक कमरे में प्रयोगशाला स्थापित कर दिया गया है, एक किनारे में प्रैक्टिकल सामग्री के साथ-साथ कमरे में पुस्तकालय व अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जो स्कूल प्रबंधन के लिए मजबूरी बनी हुई है।
एक छात्र करता है प्रैक्टिकल दूसरे सिर्फ देखते हैं
■ दुर्ग जिले में नवीन सरकारी कॉलेजों में प्रैक्टिकल करने के लिए विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ रही है। शासकीय कॉलेज मंचादुर में लैब ही नहीं है। जिसकी वजह से यहां के विद्यार्थियों को 12 किलोमीटर दूर से उतई सरकारी कॉलेज प्रैक्टिकल करने के लिए आना पड़ता है।
■ सरकारी कॉलेज रिसाली में एक की कमरे में फिजिक्स लैब, लाइब्रेरी और स्पोर्ट्स एक साथ चलते हैं। इस कॉलेज में जूलॉजी के विद्यार्थियों के लिए लैब की ऐसी व्यवस्था है कि स्टाफ के कमरे में उपकरण रखे गए हैं।
■ निकुम महाविद्यालय, कुम्हारी महाविद्यालय और रानीतराई महाविद्यालय में उपकरण की कमी है। विद्यार्थी बताते हैं कि एक प्रयोग सामग्री का इस्तेमाल करता है तो पांच से दस विद्यार्थी केवल देखकर ही अपना प्रैक्टिकल पूरा करते हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन कॉलेजों में जगह की कमी है, इसलिए ज्यादा उपकरणों को रख नहीं सकते।