रायपुर। दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान लापरवाही और मरीजों के आंखों की रोशनी जाने की घटना से भी स्वास्थ्य विभाग सबक नहीं ले सका है। अब एक अन्य मामला सूरजपुर में सामने आया है। कोरिया जिले के सरकारी अस्पताल में  मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन बीते दिनों 24 दिसंबर और 15 जनवरी को किया गया। 24 दिसंबर को 10 मरीज तथा 15 जनवरी को 3 मरीजों का ऑपरेशन किया गया। दिसंबर में जिन 10 मरीजों का ऑपरेशन किया गया उनमें से 3 मरीज तथा जनवरी में जिन 3 मरीजों का ऑपरेशन किया गया उनमें से 2 मरीजों को ऑपरेशन के बाद समस्या प्रारंभ हो गई। चार मरीजों की आंख की रोशनी मोतियाबिंद ऑपरेशन में हुई लापरवाही के चलते चली गई है। 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वहां के बीएमओ डॉ. बलवंत सिंह के नेतृत्व में यह ऑपरेशन हुआ था। मरीजों की तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें रायपुर रेफर किया गया, तब मामले का खुलासा हुआ। आंबेडकर अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच कराने का निर्णय लिया है। कोरिया जिला कलेक्टर ने मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, नायब तहसीलदार और नेत्र रोग विशेषज्ञ के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित की है। कमेटी द्वारा ऑपरेशन थियेटर से सैंपल लिए गए हैं। 

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फिलहाल हालत स्थिर 

कोरिया जिले से आए नेत्र रोगियों का नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों की देखरेख में उपचार किया जा रहा है। आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक आवश्यक दवा एवं इलाज के बाद स्थिति स्थिर है। चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी एवं अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने मरीजों के उपचार एवं उचित देखभाल के लिए संबंधित विभाग को विशेष निर्देश दिए हैं। नेत्ररोग विभागाध्यक्ष डॉ. निधि पांडेय के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम द्वारा तीनों मरीजों को आवश्यक मेडिकल एवं सर्जिकल उपचार प्रदान किए जा रहे हैं।

दो मरीजों का ऑपरेशन

आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया, कोरिया के जिला अस्पताल से आए पोस्ट-ऑपरेटिव एंडोफ्थालमाइटिस के दो मरीजों का ऑपरेशन किया गया है। संभावना है कि तीसरे मरीज को ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यहां आए तीनों मरीजों की 15 जनवरी को कोरिया जिले में मोतियाबिंद की सर्जरी की गई थी। इसके बाद 16 जनवरी को दो मरीजों को इंट्राविट्रियल इंजेक्शन देने के बाद उन्हें रायपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। 17 जनवरी को दोनों मरीज आए और दूसरे दिन ही दोनों की विट्रेक्टॉमी की गई। 21 जनवरी को एक अन्य मरीज आया। इंट्राविट्रियल इंजेक्शन के बाद उसकी हालत स्थिर है।