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कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों के लिए ट्रांसफर से बैन को हटाने का विचार किया है। इसलिए सभी विभागों के अफसरों-कर्मियों के तबादले हो सकते हैं। 

रायपुर- छत्तीसगढ़ में आमतौर पर जरूरतमंद या किसी विषम परिस्थिति में ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन कई बार पैसे के जरिए या फिर मंत्रियों, विधायकों का नाम लेकर कुछ अधिकारी या शिक्षक अपना ट्रांसफर ले लेते हैं। हालांकि अब राज्य सरकार ने कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों के लिए ट्रांसफर से बैन को हटाने का विचार किया है। इसलिए सभी विभागों के अफसरों-कर्मियों के तबादले हो सकते हैं। 

बता दें, विभाग को अगर सही केस या फिर कोई एप्रोच हो तो फिर मंत्री से अनुमोदन लेकर फाइल चीफ सिकरेट्री को भेजा जाता है। चीफ सिकरेट्री समन्वय के प्रस्तुतकर्ता अधिकारी होते हैं। चीफ सिकरेट्री फाइल को मुख्यमंत्री को भेजते हैं। इसके बाद किसी विषम परिस्थिति में ट्रांसफर होता है। 

इससे पहले कब हटाया गया था बैन 

जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त भूपेश बघेल की सरकार चल रही थी। यानी 2022 में सिर्फ एक महीने के लिए बैन को हटाया गया था। लेकिन इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और बैन हटा दिया गया। अब एक बार फिर राज्य सरकार बैन हटाने की बात कर रही है। 

बार-बार ये फैसला क्यों लिया जाता है

अक्सर जिसकी सत्ता होती है, वो इसलिए बैन हटाने की नहीं सोचता, क्योंकि कई बार ट्रांसफर लेने के लिए लोग दलाली करते हुए नजर आते हैं। कुछ लोग पैसा देकर ट्रांसफर करवा लेते हैं तो वहीं कुछ मंत्रियों और अधिकारियों का नाम लेकर ट्रांसफर करवाने की कोशिश में लगे रहते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है, ट्रांसफर को लेकर बैन हटाने से सत्ता में रहने वाली सरकार पर कई तरह के आरोप लगे हैं। 

31 जुलाई तक ट्रांसफर पर बैन खोल सकते हैं 

राज्य सरकार इस मसले पर मंथन कर रही है। हालांकि जरूरत महसूस होने पर लिमिटेड समय के लिए बैन हटाया जा सकता है। ताकि, लंबे समय से एक ही जगह पर पोस्टेड कर्मचारियों और अधिकारियों को तबादले का लाभ मिल सकें। अगर जुलाई में बैन नहीं हटा तो इसके बाद अगले साल तक का इंतजार करना होगा। 

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