रायपुर। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय से मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास में आध्यात्मिक गुरु एवं द आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना करते हुए श्री श्री रविशंकर का आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि, मुख्यमंत्री नक्सलवाद से लड़ रहे हैं, पहले से अब कितना बड़ा फर्क आया है। उन्हें दर्द है कि उनका कुछ सपने ही सपने संजो के बैठे कुछ सिद्धांत लेकर बैठे हैं। सबका विकास होना चाहिए उनके मन में है। इसलिए अपना जीवन दाव में लगाकर वह नक्सलवाद लड़ रहे हैं। मैं उन सब युवाओं को इसी मंच से आवाहन करता हूं, भाई आप आ जाओ हम सब मिलकर के छत्तीसगढ़ को ऐसा चमकाएंगे भारत को ऐसा चमकाएंगे आपको इस देश में किसी चीज की कमी ना हो। जहां गांव- गांव में पानी, बिजली, शिक्षक, प्रशिक्षण और नौकरी मिले। इस तरह की एक व्यवस्था करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. केंद्र में भी हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी है। वे भी बहुत इस पर ध्यान देते हैं गरीबों का उत्थान कैसे हो और यहां राज्य के मंत्री भी आप भी इस एक क्षेत्र से आए बनवासी क्षेत्र से है। इसलिए आप भी जानते हैं दर्द और क्या चाहिए लोगों को इसके इस बारे में भी अवगत है। यहां कोई अहंकार की बात नहीं रखना चाहिए वह सब छोड़ दीजिए। मैं व्यक्तिगत रूप से और आर्ट ऑफ लिविंग की संस्था की ओर से मैं आप सब जो युवा है मैं आप सबको सम्मान करता हूं।
सीएम साय एक दिलेर व्यक्ति
उन्होंने आगे कहा कि, गौरव बोलता हूं, आप दिलदार व्यक्ति हैं आप में हिम्मत है आप में जोश है। आपके में कुछ परिवर्तन लाने के लिए जो कर जो चाहिए। वह अंदर की जो जोश वह है इसलिए आप मुख्य धारा में आओगे। आपके साथ हम खड़े रहेंगे हम सब मिलकर के भारत को श्रेष्ठ बनाएं और श्रेष्ठ बनाए। छत्तीसगढ़ क्षेत्र में ऐसा शांति ऐसा समृद्धि दोनों देखने को मिल जाएगा। लेकिन जब तक शांति नहीं है समृद्धि नहीं हो सकती है और सारी लड़ाई समृद्धि के लिए तो है विनाश के लिए कोई नहीं लड़ता न्याय के लिए लड़ते हैं। समृद्धि के लिए लड़ते हैं यही दो सिद्धांत से क्या विशेष को लेकर के आप लड़ रहे सामान्य समृद्धि और न्याय यह तीनों आपको मिलेगा जब आप साथ में आओगे। मुख्य धारा में आओ आपकी जो मांग है वह सामने रखोगे भाई बंदूक सेकभी-कभी काम नहीं बना है.
छत्तीसगढ़ में पर्यटन के कई स्थल
श्री श्री रविशंकर ने आगे कहा कि, जहां शांति है तो समृद्धि पीछे- पीछे आती है और यहां प्रकृति कितना सौंदर्य है। इस प्रदेश में इतना तरह के फल फूल यह सब है। यहां के आहार है पक्ष से भोज है, दुनिया यहां आकर्षित हो सकती है। जब यहां पूरी तरह से शांति आ जाए, यहां केंद्र बने बनाने का संकल्प यही देखो। यहां सफारी यहां शेर और बाघ भी है। यहां पर है सफारी है इस सफारी को हम दुनिया में सब्जी के बोल सकते हैं। हम सबको यहां निमंत्रण दे सकते हैं। छत्तीसगढ़ में थोड़ा सा लोग पीछे होते क्यों अरे वहां पता नहीं नक्सलवाद है क्या है अभी समय आ गया है। सब को एक साथ होकर के काम करने का ठीक है. भारत की यह संस्थान नाम क्यों रखें 45 साल पहले जब हम विदेश जाते रहे। तब योग और ध्यान करो तो लोग समझते थे यह तो कोई भस्म लगा के एक टांग में खड़े होंगे गंगा किनारे वही योग है। योग का मतलब भी कुछ और समझते थे। तुमने आर्ट ऑफ लिविंग कहां तो लोगों को लगेगी क्या जीवन जीने की कला क्या है? देखने आएंगे जब आती फिर सुदर्शन क्रिया करते थे योग करते थे प्राणायाम करते थे तो जीवन में बड़ा परिवर्तन है।
शारीरिक रूप से मजबूत मानसिक रूप से रहें मजबूत
उन्होंने आगे कहा कि, जीवन में चार चीज की आवश्यकता है एक तो शक्ति मजबूत रहना शारीरिक रूप से मजबूत मानसिक रूप से मजबूत और भावना कि तौर पर भी स्थिर होना चाहिए। हमें आप सब यहां आए हो आपके दिल में कोई प्रेम तो है है ना किसी के प्रति तो है अपने मां-बाप के प्रति है। बच्चों के प्रति है हार्ड उसे फोटोस के प्रति है। देश की प्रतिबिंब हमारे देश प्रेम और देव प्रेम एक ही सिक्के का दो पहलू है। ईश्वर को मानते हैं और देश की भक्ति नहीं है तो वह देशभक्ति ईश्वर भक्ति नहीं है। ऐसे देशभक्त के साथ-साथ ईश्वर भक्ति भी मिली हुई जुड़ी हुई संसार बनाया जो बनाने वाले हैं। उनकी प्रतिबिंब अपने हृदय में भाव होना आवश्यक है तुम शक्ति भक्ति युक्ति और मुक्ति यह चार चीज की आवश्यकता है। जीवन में युक्ति ना हो तो आप कुछ भी नहीं कर सकती हो महाभारत का युद्ध भी युक्ति से जीत गया। युक्ति आवश्यक है केवल युक्ति रहे वह भी नहीं चलेगा। शक्ति चाहिए ऐसे मन में मुक्त भाव होना चाहिए। बंधे हुए व्यक्ति में ना प्रेम होगा ना बोल होगा ना प्रेम होगा ना बोल होगी बाल और प्रेम सब होना हो तो मन मुक्त होना चाहिए। किस मुक्ति परेशानी अपना मन में द्वेष किसी के प्रति कुछ मन मोटापा हो गया वह सब हमले की तोता रहते हैं। बताओ जिससे आपका नफरत हो गया या क्रुद्ध हो गया। जिसको आप पसंद नहीं करते हो वह आपके दिमाग को ऑक्युपी कर लेते हैं कि नहीं आपके दिमाग पर हाथ ही हो जाते नाजिनको आप अवॉइड करना चाहते हो। जिसे आपको विरोध है।
आर्ट ऑफ लिविंग की पांच बातों का करें पालन
उन्होंने आगे कहा कि, आर्ट ऑफ लिविंग का सिर्फ पांच बातें पांचवी बात सिद्धांत क्या सबसे पहले जीवन में उतार चढ़ाव तो होते रहते कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा। वह कहेगा कि मेरे जीवन में उतर ही नहीं है चढ़ा भी चढ़ने नहीं ऐसा नहीं और कोई यह भी नहीं कर सकता मेरा सब काम सत्यानाश हो रहा है। मेरा कोई भी काम बनी नहीं है। यह भी कोई बोल नहीं सकता यह सब परिस्थितियों में प्रतिकूल और अनुकूल प्रतीक परिस्थितियों में मन को मां की क्षमता को बनाए रखें। इसी पिछले साल 193 देशों ने ज्ञान का महत्व समझकर विश्व ध्यान दिवस घोषित किया लोगों ने हमको बुलाया था। यूनाइटेड नेशन में कोई भी नेगोशिएशन से पहले ध्यान करने से बहुत बड़ा फर्क आता है। 145 यूनिवर्सिटी अमेरिका में बड़े-बड़े यूनिवर्सिटी जहां आप अपने बच्चों कोपढ़ा सभी देश अभी जानने लग गए कि भारत का यह जो ज्ञान है इसके बगैर कोई चारा नहीं है, समाज के जितने भी बुराइयां हैं। इनको दूर करने के लिए एक बहुत आवश्यक है तो इसलिए हमें घर की मुर्गी दाल बराबर नहीं पाते ना ऐसी बात में नहीं रहना चाहिए। हम लोगों को भी इसको अपनाना है, आज इतने सारे जितने कॉलेजेस स्कूल से यहां सब लोगों ने इस काम को लेने के लिए शुरू किया है अभी मुंबई किया है आप सब करिए अच्छा होगा।