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पैसों के अभाव में नियमित पढ़ाई ना करके प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में परीक्षा फॉर्म भरने वाले छात्रों की मुश्किलें मौजूदा सत्र से बढ़ने वाली हैं।

रुचि वर्मा- रायपुर। पैसों के अभाव में नियमित पढ़ाई ना करके प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में परीक्षा फॉर्म भरने वाले छात्रों की मुश्किलें मौजूदा सत्र से बढ़ने वाली हैं। इन छात्रों को अब पूर्व की तरह नाममात्र शुल्क ना देकर वही शुल्क देना होगा, जो नियमित छात्र प्रवेश के दौरान प्रवेश देते हैं। दरअसल अब प्राइवेट छात्र पहले की तरह सिर्फ परीक्षा दिलाने महाविद्यालय नहीं जाएंगे, बल्कि उन्हें नियमित परीक्षार्थियों की तरह कुछ दिनों की कक्षाएं भी अटेंड करनी होंगी।

उनका भी आंतरिक मूल्यांकन होगा और मासिक टेस्ट भी प्राइवेट छात्रों को दिलाने होंगे। ये सभी कार्य उन महाविद्यालयों के प्राध्यापक करेंगे, जहां उन्होंने आवेदन भरा है, इसलिए अब उन्हें फीस भी वही देनी होगी, जो नियमित छात्र देते हैं। शासकीय महाविद्यालयों के इतर निजी महाविद्यालयों में फीस उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधानुसार भिन्न-भिन्न होती है। अब तक प्राइवेट छात्रों के लिए सामान्यतः न्यूनतम शुल्क 1600 रुपए अथवा इसके समकक्ष ही होता था। प्रायोगिक विषयों का चुनाव करने पर अपेक्षाकृत अधिक राशि प्रदान करनी पड़ती थी। लेकिन अब छात्र कॉलेज द्वारा तय शुल्क ही देंगे। अधिकतर निजी महाविद्यालयों में प्रति सेमेस्टर प्रारंभिक शुल्क ही 6 से 8 हजार तक है। ऐसे में छात्रों को लगभग दस गुना शुल्क भरना होगा। 

20 अक्टूबर तक कराना होगा पंजीयन

अधिसूचना में कहा गया है कि नियमित छात्रों की प्रवेश तिथि समाप्त होने के 20 दिनों के भीतर ही प्राइवेट छात्रों को भी अपना पंजीयन कराना होगा। इस बार छात्रों को 30 सितंबर तक का समय प्रवेश के लिए दिया गया था। इस तरह से प्राइवेट छात्रों के पास दाखिले के लिए सिर्फ 20 अक्टूबर तक का ही समय है। पूर्व व्यवस्था के अनुसार, प्राइवेट छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने के लिए पर्याप्त समय मिलता था। आवश्यकता होने पर विवि द्वारा तिथि भी बढ़ाई जाती रही है।

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जमा करेंगे असाइनमेंट

प्राइवेट छात्रों का आंतरिक मूल्यांकन 20 अंकों का होगा। इसके अलावा उन्हें असाइनमेंट भी जमा करने होंगे। इसके लिए 10 अंक निधर्धारित है। आंतरिक मूल्यांकन के लिए प्रश्नपत्रों का निर्माण उस महाविद्यालय के शिक्षक ही करेंगे। प्रायोगिक कक्षाओं को लेकर भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। प्राइवेट छात्रों के लिए कम से कम 30 घंटे की प्रायोगिक कक्षा अनिवार्य होगी।

80 से 90 फीसदी राशि

 प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन सचिव डॉ. देवाशीष मुखर्जी कि प्राइवेट कॉलेजों ने तय किया है कि नियमित छात्रों से ली जाने वाली फीस का 80 से 90 प्रतिशत प्राइवेट छात्रों से लिया जाएगा। उनकी भी कक्षाएं लगेगी और आंतरिक मूल्यांकन होगा, ऐसे में शिक्षकों की अतिरिक्त सेवा लेनी होगी।

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