श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। वह भी क्या जमाना था, जब कालेज में छात्र जीवन की राजनीति होती थी महत्वकांक्षी। छात्र नेता छात्रसंघ चुनाव में अपने आपको झोंक देते थे। किडनैपिंग से लेकर साम, दाम, दंड, भेद जैसे हथियार का इस्तेमाल होता था।
ऐसे दौर में राजिम कालेज भी कहां पीछे रहने वाला था। उन्हीं छात्र नेताओं में राजिम के संतोष उपाध्याय का नाम भी शुमार था। गजब की सांगठनिक क्षमता थी उनमें। वे छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के लिए उतर गए मैदान में। छात्र- छात्राओं ने उन्हें सर आंखों पर बिठाया और बना दिया अध्यक्ष। यहां से उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई।
पंच, सरपंच से विधायक तक का सफर
कुछ समय बाद ही वे ग्राम पंचायत के पंच बने, फिर सरपंच और आगे चलकर जनपद अध्यक्ष भी। श्री उपाध्याय की गाड़ी यहीं नहीं रुकी। वे जिला पंचायत सदस्य बने और 2013 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर विधायक भी बने। श्री उपाध्याय तब डॉ. रमन सिंह सरकार में काफी प्रभावशाली विधायक कहलाते थे।
भाषण से मन मोह लेते थे उपाध्याय
वे ऐसे विधायक रहे कि, उनके भाषण में लोंगों के प्रति प्रेम झलकता था। हंसमुख स्वभाव के श्री उपाध्याय ने अपने जीवन में कभी हार नहीं माना और किसी से दुआ भाव नहीं रखा। यही उनकी सफलता का राज रहा।