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भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर जहां भाई-बहन एक साथ प्रवेश नहीं कर सकते है।बड़ी रोचक और अद्भुत है इसके पीछे का रहस्य।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. भाई-बहन के प्यार और खूबसूरत रिश्ते को मजबूत करने वाले इस पर्व का सभी को  इंतजार रहता है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का बेहद महत्व है। पौराणिक काल से ही रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के इस मौके पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां भाई और बहन एक साथ दर्शन के लिए नहीं जाते हैं। आइए इस अनोखे मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके रहस्य को समझते हैं।

मंन्दिर में भाई-बहन एक साथ प्रवेश नहीं करते

यह अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में है. इस मंदिर में भाई-बहन एक साथ प्रवेश नहीं करते हैं। यह मंदिर कसडोल के पास नारायणपुर गांव में है। यह मंदिर नारायणपुर के शिव मंदिर के नाम से भी मशहूर है। जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर में भाई और बहन एक साथ प्रवेश नहीं करते और न ही दर्शन करते हैं। यह मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण 7 वीं से शताब्दी में कलचुरी शासकों ने कराया था. मंदिर लाल-काले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. मंदिर के स्तंभों पर कई सुंदर आकृतियां बनी हुई हैं. यह अनोखा मंदिर 16 स्तंभों पर टिका है।

shiv mandir
दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां

निर्वस्त्र होकर बनाया गया था मंदिर 

हर स्तंभ पर खूबसूरत नक्काशी की गई है और इस मंदिर में छोटा सा संग्रहालय है. इस संग्रहालय में खुदाई में मिली मूर्तियों को रखा गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भाई-बहन साथ नहीं जाते हैं। यह मंदिर छह महीने में बनकर तैयार हुआ था। मंदिर को रात्रि में बनाया गया था। कहा जाता है कि, शिल्पी नारायण रात के वक्त निर्वस्त्र होकर मंदिर का निर्माण करते थे। मंदिर निर्माण करने वाले शिल्पी नारायण की पत्नी उन्हें खाना देने आती थीं। लेकिन एक शाम नारायण की पत्नी की जगह बहन खाना लेकर निर्माण स्थल पर आ गईं और बहन को देखकर उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई। इस कारण से इस मंदिर में भाई-बहन एकसाथ प्रवेश नहीं करते हैं। इसके अलावा मंदिर की मुख्य दीवारों पर मैथुन की मूर्तियां भी उकेरी गई है। यह भी एक भाई बहन के एक साथ नहीं जाने के कारण होगा।

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