रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुबाई सियासत से इतर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाकर पंजाब का प्रभार सौंपा गया है। एआईसीसी स्तर की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ से हालांकि कई नेताओं को समय-समय पर दी गई, लेकिन संभवतः ये पहला अवसर है, जब राज्य के किसी वरिष्ठ नेता को महासचिव बनाया गया हो। पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में वापसी लाने में भूपेश कामयाब हुए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बतौर पिछड़ा नेता उनका कद बहुत बड़ा हो जायेगा। 

गुरुवार को ही हरिभूमि ने अपने सुधि पाठकों तक भूपेश को महासचिव बनाये जाने और प्रभारियों को बदले जाने की खबर पहुंचाई थी। भूपेश और साथ कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की टीम उनके विश्वस्त राज्यसभा सांसद नासिर हुसैन को भी महासचिव की जिम्मेदारी मिली है। उन्हें जम्मू कश्मीर और लद्दाख का प्रभार मिला है।

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लंबे जद्दोजहद के बाद आखिरकार हरियाणा के प्रभार से दीपक बाबारिया की विदाई हो गई है। वो अस्वस्थ्य चल रहे थे। उनकी जगह हरि प्रसाद को हरियाणा का प्रभार दिया गया है। हरि प्रसाद के सामने हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला खेमे के बीच सामंजस्य बिठा कर विधानसभा में नेता और नये प्रदेश अध्यक्ष के चयन की महतव्पूर्ण जिम्मेदारी होगी। ठीक ऐसे ही हालातों में हरि प्रसाद को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया था, तब जोगी बनाम आल की जबरदस्त खेमेबंदी थी। राजीव शुक्ला की जगह अब रजनी पाटिल को हिमाचल और चंडीगढ़ का प्रभार दिया गया है।

नेता मिनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का प्रभारी बनाया

बिहार से मोहन प्रकाश की विदाई भी तय कर दी गई है। अब एक खांटी हिंदी भाषी राज्य को एक अहिंदी भाषी नेता कृष्णा अलावरु को प्रभारी बनाकर आलकमान ने कुछ नया करने की कोशिश की है। लंबे अंतराल के बाद मध्यप्रदेश की नेता मिनाक्षी नटराजन को बड़ा काम मिला है। उन्हें तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है। हरीश चौधरी को मध्यप्रदेश, गिरीश चोदनकर को तमिलनाडु और पुडुचेरी, उत्तरप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अजय लल्लू को ओडिशा, के. राजू को झारखंड, सप्त गिरी उल्का को मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड का प्रभारी बनाया गया है।