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छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर अड़ गए हैं। राइस मिलर्स ने फिलहाल कस्टम मिलिंग नहीं करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को प्रदेशभर राइस मिलर्स की राजधानी रायपुर में हुई बैठक में उक्त निर्णय लिया गया।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स ने अपनी मांगें राज्य सरकार से सहमति मिलने उपरांत भी बकाया भुगतान, एसएलसी दर से परिवहन भुगतान एवं अन्य मांगें पूरी नहीं होने पर इस माह की 20 तारीख तक कस्टम मिलिंग के काम में असहयोग करने का निर्णय लिया है। साथ ही आज की बैठक में अधिकतम मिलर्स ने सरकार के विरोध स्वरूप काले कपड़े पहन कर विरोध प्रदर्शन किया। 

इस संबंध में राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि, गुरुवार को 12 दिसंबर को रायपुर के श्री राम मंदिर वीआईपी रोड के हाल में प्रदेश के समस्त मिलर्स की उपस्थिति में वृहद बैटक हुई। बैठक में पूरे प्रदेश से लगभग 2500 राइस मिलर्स उपस्थित थे। कैबिनेट की बैठक में चावल उद्योग से संबंधित विषयों पर निर्णय लिया गया है, जिसमें मिलर्स को वर्ष 2024-25 की प्रोत्साहन राशि 80/- रुपये प्रति क्विंटल करने, मिलर्स को वर्ष 2023-24 के प्रोत्साहन की एक किस्त का भुगतान करने के साथ ही पेनाल्टी विषय पर निर्णय लिए गए। 

Rice Millers Association

एसएलसी की दर पर अअका मामला

मिलर्स वर्ष 2022-23 के प्रोत्साहन की एक किस्त चाहते हैं, जबकि कैबिनेट ने वर्ष 2023-24 के भुगतान पर मुहर लगा दी, साथ ही एसएलसी की दर से भुगतान का विषय कैबिनेट में नहीं रखा गया। इन दो बड़ी मांगों पर पूर्व में राज्य सरकार के साथ चर्चा में सहमति के उपरांत भी मांगें पूर्ण नहीं होने पर मिलर्स का धैर्य टूट गया। बैठक में उपस्थित मिलर्स ने कहा कि, यह मिलर्स के साथ वादाखिलाफ़ी है। एक तरफ़ मिलर्स में कैबिनेट की बैठक होने के पूर्व उत्साह का वातावरण बना हुआ था। लेकिन कैबिनेट से जो निर्णय आया उससे पूरे प्रदेश के मिलर्स में निराशा का वातावरण बन गया। 

प्रदेश सरकार से तत्ताकल निर्णय लेने का आग्रह

प्रदेश भर के मिलर्स ने मांग की है कि, प्रदेश सरकार तत्काल निर्णय लेकर जिन विषयों में सहमति बनी उस पर अमल होकर समस्या का समाधान निकाल सके जिससे किसानों को भी कोई असुविधा ना हो। उल्लेखनीय है कि, मिलर्स को कस्टम मिलिंग का बकाया भुगतान जो करोड़ों में है वह ना होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब है। मिलर के पास बैंक गारंटी बनाने, चावल जमा करने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसी स्थिति में मिलर को भुगतान के अभाव में मिलर कस्टम मिलिंग कार्य करने असमर्थ हो चुका है। यह पहला अवसर नहीं है जब मिलर अपनी समस्या को सरकार के सामने रख रहे हैं। एसोसिएशन के माध्यम से अनेक बार पत्र व्यवहार किया गया है। सभी जिलों के मिलर्स ने अपने जिले के जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत कराया। यह पिछले काफ़ी दिनों से चल रहा था लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया। जिससे मिलर को यह निर्णय लेना पड़ा कि वे पुनः सरकार से आग्रह करते हैं कि, उनकी मांगों पर जिन पर सरकार ने सहमति दी उसे शीघ्र निर्णय लेकर पूरी करे। जिससे कस्टम मिलिंग कार्य सुचारू रूप से चल सके।

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