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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा आदेश जारी कर रायपुर से हैदराबाद के लिए नया एक्सप्रेस-वे प्लान किया था।

राजनांदगांव । रायपुर से राजनांदगांव जिला होते हुए हैदराबाद तक बनने वाले एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को काम शुरू होने से पहले ही टाल दिया गया है। दो साल पहले इस एक्सप्रेस-वे को अनुमति देने वाले केंद्र ने हाल ही में एक आदेश जारी कर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से मना कर दिया है। इधर प्रोजेक्ट के रद्द होने के बाद अब इसके दायरे में आने वाले अविभाजित जिले के करीबन 69 गांव से जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगे बैन को भी हटाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि, 17 अक्टूबर 2022 को केंद्र के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा आदेश जारी कर रायपुर से हैदराबाद के लिए नया एक्सप्रेस-वे प्लान किया था। इसके लिए आदेश जारी कर उस दौरान केंद्र सरकार ने मंजूरी भी दी थी। सर्वे के बाद जमीन अधिग्रहण के लिए कार्रवाई शुरू करने की दिशा में भी काम शुरू कर दिया गया था। राजनांदगांव, मोहला-मानपुर, बालोद सहित दुर्ग जिले में इसके दायरे में आने वाले गांव में जमीन की खरीदी-बिक्री को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन अब दो साल बाद काम शुरू होने की उम्मीद से पहले ही केंद्र सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट को ही कैंसिल कर दिया है।

फारेस्ट क्षेत्र भी बना रोड़ा

रायपुर से हैदराबाद एक्सप्रेस-वे के निर्माण में केंद्र सरकार द्वारा हाथ पीछे किए जाने के पीछे एक बड़ा कारण फारेस्ट क्षेत्र भी है। मोहला, मानपुर से लेकर गढ़चिरौली के एक लंबे इलाके की जमीन वन भूमि है। यही कारण है कि वन क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया काफी लंबी है। वहीं राजनांदगांव और डोंगरगांव इलाके में इस प्रोजेक्ट के पहले ही कुछ लोगों ने व्यापक पैमाने पर वर्गफीट में जमीन की रजिस्ट्री करा ली थी। जिसके कारण मुआवजे की रकम भी बढ़ गई।

इन जिलों से बनना था एक्सप्रेस-वे

प्रस्ताव के मुताबिक, यह रायपुर से दुर्ग, राजनांदगांव, गढ़चिरौली, गोंदपीपरी, आदिलाबाद, मैनरेरियल, रामागुंडम और करीमनगर होते हुए हैदराबाद पहुंचेगा। इसमें छत्तीसगढ़ के अंदर 104 किलोमीटर और महाराष्ट्र में 77 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे बनना है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को मिलाकर टोटल 181 किलोमीटर की सड़क बनेगी। बाकी 338 किलोमीटर की सड़क आंध्रप्रदेश में बनेगी।

दूरी में आती कमी, जल्द पहुंचते हैदराबाद

इस एक्सप्रेस-वे को बनाए जाने के बाद राजधानी रायपुर से हैदराबाद की दूरी भी कम होने की बातें कही गई थी। फिलहाल रायपुर से हैदराबाद जाने के लिए 780 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। नया एक्सप्रेस-वे बनने के बाद सीधे-सीधे ढाई सौ किलोमीटर की दूरी कम होने का दावा किया गया था। यानी हैदराबाद की दूरी 530 किलोमीटर हो जाती। वहीं सफर में करीबन चार घंटे का समय भी बचता। हालांकि अब इस प्रोजेक्ट को टाल दिया गया है।

साढ़े चार हजार करोड़ का प्रोजेक्ट

इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए सामान्य भूमि की दोनों तरफ मिलाकर 70 मीटर और जंगल के भीतर 45 मीटर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जहां-जहां से एक्सप्रेस-वे गुजरेगा, उसके साथ लगी 506 हेक्टेयर जमीन महाराष्ट्र और 717 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण छत्तीसगढ़ में किया जाएगा। इसकी लागत लगभग चार हजार करोड़ रुपए बताई गई थी।

दो साल से 69 गांवों की जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगा था प्रतिबंध, एक-दो दिनों में हटेगा

राजनांदगांव ब्लॉक में सिंघोला, सुरगी, महराजपुर, ढोड़िया, जंगलेशर, कोटराभांठा, आरला, मोखला, कुसमी, भरेगांव, टेडेसरा, इंदवानी, पारीखुर्द, सांकरा, टेड़ेसरा, देवादा एवं सोमनी गांव से होकर यह सड़क गुजरेगी। छुरिया ब्लॉक में ग्राम दैहान, घुपसाल, लाटमेटा, नरेठीटोला, सागर, कुमरदा, आमगांव, भंडारीभरदा, चांदो, मुचेदंड, कन्हारपुरी, देवरी, पंगरीकला, बेजरतोला, साल्हे, मनहोरा, अछोली। डोंगरगांव ब्लॉक में मोहड़, करियाटोला, माथलडबरी, बेंदरकट्टा, दर्री, खुज्जी, बघमार, करेठी, भटगुना, नादिया, खुर्सीपार, भाखरी, रीवागहन, कुतुलबोड भांठागांव। मोहला- मानपुर-चौकी जिले में भी 42 किमी सड़क गुजरने वाली है। इनमें पाटनखास, तोयागोंदी, यहोदा, साल्हे, वासड़ी, बंजारी, छुरियाडोंगरी, टाटेकसा, छुईखड़का, ठाकुरबांधा, विचारपुर, मुड़पार, मिरचे, हेलमकोहड़ा, दक्कोटोला, चिल्हाटी, खड़खड़ी, झिटिया, हालमकोड़ो, एड़मागोंदी, डोंगरगांव, कहाड़कसा, हांडीटोला, आमाटोला, बिटाल, राघोटोला, शिकारीटोला, थैलीटोला, जोरातराई गांव में भू-अर्जन पर रोक लगा दी गई है।

केंद्र के झटके से भू माफियाओं के उड़े होश

रायपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस-वे बनने की खबर मिलते ही कुछ स्थानीय भू माफियाओं ने मुनाफा कमाने के लिए इस रूट पर जमीन की खरीदी कर ली थी। मुआवजे की आड़ में मुनाफाखोरी के सपने देख रहे भू-माफियाओं को भी इस एक्सप्रेस-वे के रद्द होने से बड़ा झटका लगा है। बताया गया कि शहर के ही दो-तीन भाजपा नेताओं ने बड़ा पैसा इस रूट की जमीन पर लगाया था। जमीन की रजिस्ट्री में एकड़ की बजाय वर्गफीट में कराई गई थी, ताकि मुआवजे ज्यादा मिल सके। इधर इस मामले में हाईवे की जमीन के लिए सर्वे करने वाले अफसरों की भी मिलीभगत सामने आई थी।

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