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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है। यूजीसी ने इन संस्थानों में लोकपाल गठन नहीं होने का हवाला दिया है। 

रायपुर। नियुक्ति नहीं होने के कारण उन्हें डिफाल्टर घोषित किए जाने संबंधित मामले में यूजीसी स्वयं ही घिर गया है। प्रदेश के जिन पांच विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर सूची में रखा गया है उनमें  से दो का कहना है कि, उनके यहां पूर्व में ही लोकपाल की नियुक्ति की जा चुकी है। यूजीसी इससे अपडेट नहीं है, जबकि शेष विश्वविद्यालयों का कहना है कि उनके यहां लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। विश्वविद्यालयों का कहना है कि यूजीसी द्वारा वर्ष के प्रारंभ में जारी किए गए नोटिस को गंभीरतापूर्वक लेते हुए उनके द्वारा पूर्व में ही इससे संबंधित प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है। इसके बाद भी उन्हें डिफाल्टर की सूची में क्यों डाला गया है, उन्हें नहीं पता।

गौरतलब है कि, किसी विश्वविद्यालय को यूजीसी की डिफाल्टर सूची में डाले जाने पर संबंधित विश्वविद्यालय को शासकीय सहायता प्राप्त नहीं होती है। उन्हें मिलने वाले अनुदान सहित कई अन्य तरह की सुविधाएं समाप्त हो जाती हैं। इसका प्रभाव विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग पर भी पड़ता है। विश्वविद्यालयों में छात्रों की समस्या के निराकरण के लिए लोकपाल का प्रावधान यूजीसी द्वारा किया गया है।

नियुक्त है लोकपाल

6 जून को लोकपाल की नियुक्ति कर चुके हैं। रिटायर प्रोफेसर डॉ.जेएस उरकुरकर को हमने अपना लोकपाल बनाया है। इस संदर्भ में अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। 

संजय नैय्यर, जनसंपर्क अधिकारी, कृषि विवि
पता करते हैं : वस्तुस्थिति पता कर रहे हैं। 
डॉ. संजय अलंग, प्रभारी कुलपति, उद्यानिकी विवि

साझा किए डॉक्यूमेंट 

विश्वविद्यालयों ने अपना पक्ष रखते हुए डॉक्यूमेंट भी पेश किए हैं। पिछली तिथियों में जारी अधिसूचना और वेबसाइट में दी गई तारीखों का जिक्र विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अपना पक्ष रखते हुए किया गया है। विश्वविद्यालय अब इस मामले में यूजीसी से संपर्क करने के मूड में हैं। वे विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर सूची से हटाने की मांग करेंगे। डिफाल्टर की लिस्ट में छत्तीसगढ़ से कृषि विवि, उद्यानिकी विवि, कामधेनु विवि, रायगढ़ विवि तथा आयुष विवि के नाम हैं।

चार माह पूर्व नियुक्ति वेबसाइट पर है जानकारी

रायगढ़ विवि के कुलपति डॉ. ललित प्रकाश पटेरिया ने बताया कि, विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति चार माह पूर्व मार्च में ही की जा चुकी है। इसकी पुष्टि नंदकुमार पटेल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर जाकर की जा सकती है, जहां सभी जानकारी अपडेट है। लोकपाल नियुक्ति की जानकारी यूजीसी को भी भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक उनकी वेबसाइट पर अपडेट नहीं होने के कारण देखने वालों को अधूरी और गलत जानकारी मिल रही है।

प्रक्रिया प्रारंभ

कामधेनु विवि के कुलसचिव रमेश सोनवाले ने बताया कि, विवि में लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया पहले ही प्रारंभ हो चुकी है। तकनीकी कारणों से नियुक्ति नहीं हो पाई है। कुलपति के आप आते ही सोमवार को आदेश भी जारी हो जाएगा। 

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