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नगरी नगर पंचायत के अनारक्षित मुक्त होते ही बीजेपी- कांग्रेस के दिग्गज नेता टिकट लेने की दौड़ में लग गए हैं। अध्यक्ष पद के लिए नगर के कई नेताओं के नामों की चर्चा हो रही है।

अंगेश हिरवानी- नगरी। छत्तीसगढ़ के नगरी में अध्यक्ष पद अनारक्षित मुक्त होते ही चुनावी हलचल तेज हो गई है। नगर पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण होते ही गहमागहमी बनी हुई है। इस पद के लिए भाजपा- कांग्रेस से कई उम्मीदवारों की चर्चा हो रही है। जिनमें नगर के कई प्रतिष्ठित व्यापारी और राजनीति में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले लोग शामिल है।

नगरी को जब से नगर पंचायत का दर्जा मिला है तब से यहां पर भाजपा ही अध्यक्ष पद पर काबिज है। पहले भाजपा से नागेन्द्र शुक्ला अध्यक्ष थे। वहीं वर्तमान में उनकी पत्नी आराधना शुक्ला अध्यक्ष है। शुक्ला भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं और बड़े नेताओं के बीच उनकी अच्छी राजनैतिक पकड़ है। वहीं दोनों पार्टियों के कई नेता शीर्ष नेताओं से संपर्क करने में लगे हुए हैं। भाजपा- कांग्रेस में चुनावी माहौल एक नया मोड़ ले चुकी है।

भाजपा से संभावित प्रत्याशी 

नगरीय निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए इस भाजपा में गहमागहमी शुरू हो गई है। इस बार भाजपा से कई लोगों के नामों की चर्चा हो रही है। जिनमें नागेन्द्र शुक्ला का नाम सबसे ऊपर है उनकी पत्नी वर्तमान में नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं। वहीं रेस में युवा नेता रूपेंद्र कुमार साहू का नाम सामने आ रहा है जो वर्तमान में व्यापारी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष है। इसके अलावा वर्तमान उपाध्यक्ष अजय नाहटा, मंडल अध्यक्ष, बलजीत छाबड़ा, भावेश चोपड़ा, अनिरूद्ध गंजीर,नंद कुमार यादव,आलोक सिन्हा के नाम शामिल है। 

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कांग्रेस से संभावित प्रत्याशी 

कांग्रेस पार्टी के संभावित प्रत्याशियों में भानेन्दर सिंह ठाकुर का नाम शामिल है। वे राजनैतिक मामलों के गुरू कहे जाते हैं। वहीं सचिन भंसाली जो विधायक अंबिका मरकाम की बहुत करीबी माने जाते हैं का नाम भी इस रेस में है। इसके अलावा गगन नाहाटा का नाम सामने आ रहा है। इसके अलावा सचिन भंसाली, गगन नाहाटा, पेमन स्वर्णबेर का नाम अध्यक्ष पद की रेस में है। 

ओबीसी मतदाता बदल सकता है चुनावी समीकरण 

इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में नया चेहरा को मैदान मे उतरने पर भी तेज चर्चा हो रही है। हाल मे ही तीन जनवरी को पिछड़ा वर्ग समाज ने नगर पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसी को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि, चुनाव में ओबीसी मतदाता समीकरण बदल सकता है। वहीं लोगों का कहना है कि, इस बार बीजेपी- कांग्रेस दोनों पार्टी को सोच समझकर प्रत्याशी को मैदान में उतारना पड़ेगा। क्योंकि अगर लोगों को प्रत्याशी पसंद नहीं आया तो कोई निर्दलीय प्रत्याशी को भी मैदान में उतारने पर चर्चा हो रही है।

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