प्रेम सोमवंशी-कोटा। कोटा के ग्राम पथर्रा में प्रस्तावित महावीर कोलवासरी की यूनिट शुरू करने के विरोध में बैठे ग्रामीणों के ऊपर अचानक दीवार गिर गई। हादसे में 5 ग्रामीण घायल हो गए। उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में भर्ती कराया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण महावीर कोलवासरी यूनिट शुरू करने के विरोध में बैठे हुए थे। इस दौरान तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश होने लगी। आंधी-तूफान के बीच भी ग्रामीण धरनास्थल पर डटे हुए थे। इसी बीच धरनास्थल के पीछे की दीवार भरभराकर ग्रामीणों के ऊपर गिर गई, हादसे में 5 ग्रामीण घायल हो गए।
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— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) June 14, 2024
घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया
हादसे के बाद मौके पर मौजूद ग्रामीणों और पुलिस की टीम ने घायलों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। घायलों में आलोक गोस्वामी (18) पिता जीतेन्द्र, अनुराग गोस्वामी (16) पिता जीतेन्द्र, बजरहा केंवट (42) पिता जोहन, कमल गोंड (65) पिता मुड़िया, शंकर यादव (44) पिता मालिकराम घायल हुए थे। शंकर यादव को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटा से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं ग्रामीण
कोल वासरी की जनसुनवाई पहले ही प्रशासन ने निरस्त कर दी है। करीब 10 सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीणों ने रेलवे क्रासिंग के पास अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रहे हैं। एसडीएम को सौंपे गए ज्ञापन में ग्राम पंचायत पथरी, खरगहनी, खरगहना, कलमीटार, गोपालपुर, मोहनभाठा समेत करीब 10 से ज्यादा पंचायतों के ग्रामीणों ने कहा है कि, महावीर कोलवासरी की यूनिट स्थापना के लिए आदिवासियों की जमीन गलत तरीके से खरीदी गई है। इसके साथ ही ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना ही कोल वासरी संचालक ने खरगहनी, कलमीटार, खरगहना और पथर्रा की शासकीय भूमि को कब्जे में लेकर बाउंड्रीवाल और रेलवे साइडिंग के लिए अवैध निर्माण किया जा रहा है। इसकी शिकायत 30 मई को कलेक्टर से की गई थी।
उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर कर रहे प्रदर्शन
कलेक्टर ने मामले की जांच करने और अवैध निर्माण करते पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जांच कोटा एसडीएम कर रहे हैं। जांच के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई है वह गलत है। अलग तरीके से की जा रही जांच के बदले उच्च स्तरीय जांच करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती तब तक ग्रामीणों का धरना जारी रहेगा।