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Delhi Politics: सीएम आतिशी आज अचानक वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का इंस्पेक्शन करने पहुंच गई। इस दौरान उन्होंने बताया कि यमुना नदी प्रदूषित क्यों है।

Delhi Politics: दिल्ली मुख्यमंत्री आतिशी ने वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान मीडिया से बातचीत में सीएम आतिशी ने भाजपा शासित प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार पर हमला बोल दिया है। इससे शहरवासियों का दिल्ली में बढ़ रही वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित करना है। उनका आरोप है कि भाजपा की राजनीति और पड़ोसी राज्यों का इंडस्ट्रियल अनट्रीटेड वेस्ट यानी औद्योगिक अवशेष दिल्ली के पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।

दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का कारण बताया

सीएम आतिशी के मुताबिक अलग-अलग राज्यों के बीच की राजनीति का सीधा असर दिल्ली के लोगों पर पड़ रहा है। खासकर पराली जलाने के मामले में हरियाणा और उत्तर प्रदेश की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने प्रदूषण की बढ़ती समस्या को भाजपा की नीतियों से जोड़ा है। उन्होंने बताया कि 2021 से 2023 के बीच पंजाब ने पराली जलाने की घटनाओं में आधी कमी की है, जबकि हरियाणा में ये घटनाएं 23 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 70 प्रतिशत बढ़ गई हैं।

वजीराबाद बैराज में अमोनिया का लेवल बढ़ा

सीएम आतिशी ने निरीक्षण में पाया है कि बीते कुछ दिनों से वजीराबाद बैराज पर जो यमुना का पानी भेजा जा रहा है, उसमें अमोनिया का लेवल पहले से ज्यादा बढ़ गया है। अमोनिया का लेवल 3PPM मापा गया है। इस पैमाने पर प्लांट में वाटर ट्रीटमेंट करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा आम आदमी पार्टी से नफरत के चलते दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा और पानी मिला रही है।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में तकनीकी समस्या

आतिशी ने आगे कहा कि ये राज्य जानबूझकर अपने औद्योगिक अवशेष यमुना में डाल रहे हैं, जिससे दिल्ली में जल और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। उनका संदेश स्पष्ट है कि राजनीतिक मतभेदों के चलते दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य को खतरे में डालना गलत है। आतिशी ने यह भी कहा कि भाजपा को चाहिए कि वे दिल्ली के लोगों की भलाई को प्राथमिकता दें और प्रदूषण के मुद्दों को सुलझाने में सहयोग करें।

सीएम आतिशी के मुताबिक इन सबका गहरा असर वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, भागीरथी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट। पिछले 24 घंटे की रिपोर्ट के हिसाब से 40 प्रतिशत तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर स्पष्ट तौर पर प्रभाव पड़ता है।

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