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Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस ने 12 साल से फरार आरोपी को दबोच लिया है। आरोपी पर हत्या और अपहरण समेत कई मामले दर्ज हैं। चलिए बताते हैं आरोपी कैसे पुलिस के हत्थे चढ़ा।

Delhi Crime News: दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम 12 साल बाद एक आरोपी को गिरफ्तार करने में कामयाब रही है। आरोपी पर अपहरण, फिरौती और हत्या जैसे मामले दर्ज हैं। पैरोल जम्पर और आजीवन कारावास के दोषी को आईएससी अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने दो लाख रुपये के लिये 8 वर्षीय मासूम बच्चे की हत्या कर शव उत्तर प्रदेश के खतौली में गन्ने के खेत में फेंक दिया था।

3 फरवरी 2004 को बेटा हुआ था लापता

डीसीपी संजय कुमार सेन ने बताया कि पैरोल जंपर का नाम बेगराज है। वह मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। 45 वर्षीय आरोपी कोर्ट से एक महीने का पैरोल प्राप्त करने के बाद अंडरग्राउंड हो गया था। इस केस का शिकायतकर्ता राधे श्याम था। 3 फरवरी 2004 को उसका आठ वर्षीय बेटा लापता हो गया था। नरेला थाने में आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज किया गया था। दो दिन बाद ही शिकायतकर्ता के पड़ोसी के घर अपहरणकर्ताओं का टेलीफोन आया। उन्होंने दो लाख रुपये की मांग की थी। स्थानीय पुलिस ने शिकायतकर्ता के साथ मुजफ्फरनगर में छापा मारा जहां से कॉल किए गए थे।

2012 में मिली थी पैरोल

शिकायतकर्ता को एक करीबी रिश्तेदार धर्मबीर और उसके भाई बेगराज की संलिप्तता का संदेह था। छापेमारी में बेगराज को उसकी सह आरोपी किरण के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। दोनों ने खुलासा किया कि उन्होंने लड़के की हत्या कर दी है और शव को गन्ने के खेत में फेंक दिया है। केस में आरोपी बेगराज और किरण को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक आरोपी धर्मवीर को कोर्ट ने बरी कर दिया था। 21 जनवरी 2012 को बेगराज को पैरोल दी गई। उसे 19 फरवरी को जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश था। लेकिन उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया। हाल ही में पता चला कि आरोपी बेगराज अपने परिवार के साथ बहुत ही गुप्त तरीके से मुजफ्फरनगर में रह रहा है।

राजमिस्त्री का काम करने लगा था आरोपी

छापा मारकर बेगराज को पकड़ लिया गया। आरोपी ने बताया कि फरारी के दौरान वह चार साल तक जालंधर में रहा। इसके बाद चार साल तक परीक्षितगढ़, मेरठ में छिपा रहा। तीन साल तक मध्य प्रदेश में मजदूरी करता था। पुलिस से बचने के लिए वह पिछले 12 वर्षों से अपने रिश्तेदारों के यहां छिप रहा था। आजकल इसने अपना आधार गांव से मुजफ्फरनगर स्थानांतरित कर दिया था। आजीविका के लिये वह दैनिक मजदूरी पर राजमिस्त्री का काम शुरू करता था। फरारी की अवधि में वह कभी भी अपने पैतृक गांव नहीं गया। वह अपनी दूसरी पत्नी के साथ रहने लगा था। इसने बेगराज से नाम बदलकर अनिल कुमार रख लिया था। 

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