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Delhi News: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के सीएम पद पर बने रहने की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। दरअसल, इस बीच आप के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने ही उनके केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग वाली याचिका दायर की है।

Delhi Excise Policy: दिल्ली की शराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के सीएम पद पर एक बार फिर से खतरा मंडराता नजर आ रहा है। दरअसल, आप के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। याचिका में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ वारंट जारी करने का भी दावा किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी की गिरफ्तारी के बाद वह दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभालने में असमर्थ हो गए हैं।

जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री संदीप कुमार की ओर से दायर याचिका पर 8 अप्रैल, 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ में सुनवाई कर सकती हैं , सुल्तानपुर माजरा के पूर्व विधायक ने कहा कि अरविंद केजरीवाल, जेल में बंद रहते हुए, अनुच्छेद 239AA (4), 167 (बी) और (सी) और उप-धारा के प्रावधानों के तहत अपने संवैधानिक दायित्वों और कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं।

इससे पहले भी दायर की गई थी याचिका

बता दें सीएम अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए इससे पहले भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है। यह जनहित याचिका हिंदू सेना नामक संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर याचिका में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए उन्हें सीएम पद से हटाने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने कहा सीएम केजरीवाल  निजी फैसला 

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यह केजरीवाल का निजी फैसला होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री बने रहना है या नहीं। इसके साथ ही बेंच यह भी कहा कि कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है लेकिन यह उनका (केजरीवाल का) निजी फैसला है। न्यायालय इस पर फैसला नहीं ले सकता है। इसके साथ ही बेंच ने यह भी कहा था कि इस मसले पर उपराज्यपाल और राष्ट्रपति निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए उन्हों कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है। लिंक पर क्लिक कर खबर को विस्तार से पढ़िए...

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