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महाकुंभ 2025 में उद्योगपति गौतम अदाणी ने परिवार सहित भाग लिया। उन्होंने संगम पर स्नान किया, पूजा-अर्चना की और इस्कॉन के साथ मिलकर लाखों श्रद्धालुओं को महाप्रसाद बांटे।

Gautam Adani in Mahakumbh 2025 Prayagraj: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 मेले में भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडाणी परिवार सहित पहुंचे। उन्होंने संगम में स्नान कर मां गंगा का आशीर्वाद लिया और वीआईपी घाट पर पूजा-अर्चना की। अडाणी की इस यात्रा ने महाकुंभ के श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बना दिया।

श्रद्धालुओं के बीच बैठकर किया भोजन

गौतम अडाणी ने महाकुंभ में अपने हाथों से महाप्रसाद बांटकर श्रद्धालुओं के साथ समय बिताया। उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ बैठकर भोजन भी किया। उनकी इस विनम्रता और सहजता ने लाखों श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। अडाणी ने न केवल श्रद्धालुओं के साथ भोजन किया, बल्कि उन्हें महाप्रसाद परोसकर अपनी सेवा भावना का परिचय दिया।

इस्कॉन और अडाणी ग्रुप के बीच की पहल

महाकुंभ में इस्कॉन और अडाणी ग्रुप के मिले प्रयासों से महाप्रसाद बांटने की व्यवस्था की गई है। अडाणी ने इस सेवा का जायजा लेते हुए इस्कॉन द्वारका और इस्कॉन कुंभ टीम की विशाल मेगा किचन का भी दौरा किया। उन्होंने मेगा किचन की व्यवस्थाओं की सराहना की, जहां से महाप्रसाद कुंभ के 50 से ज्यादा केंद्रों पर बांटे जा रहे हैं।

हरिनाम संकीर्तन में लिया भाग

गौतम अडाणी ने भक्तों के साथ हरिनाम संकीर्तन में भी भाग लिया। उन्हें वैष्णव तिलक लगाया गया और उन्होंने इस धार्मिक आयोजन का भरपूर आनंद लिया। इस भव्य मौके पर उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आकर मुझे अद्भुत अनुभव हुआ है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की समृद्धि का प्रतीक है और ऐसे आयोजनों में अडाणी ग्रुप हमेशा अपनी भागीदारी लेने की कोशिश करेगा।

मेगा किचन के स्पेशल इंतजाम

मेगा किचन में हर रोज लाखों श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद तैयार किया जा रहा है। अडाणी ने इन व्यवस्थाओं को करीब से देखा और व्यवस्थापकों की सराहना की। यह सेवा महाकुंभ के समापन तक जारी रहेगी और इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों को भोजन की सुविधा प्रदान करना है। वहीं, गौतम अडाणी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सेवा और समर्पण का खास अहमियत है।

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उन्होंने महाकुंभ के प्रबंधकों को धन्यवाद दिया और आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दी। गौतम अडाणी ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे आयोजनों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार होता है। उन्होंने कहा कि गंगा के तट पर सेवा करना और श्रद्धालुओं के बीच समय बिताना उनके लिए अत्यंत सुखद अनुभव रहा।

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