Jamia Millia Islamia VC on Indian and Hindu Culture: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर (VC) मजहर आसिफ ने वाराणसी के लमही में भारतीय संस्कृति पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भगवान शिव के घर में पनपने वाली संस्कृति ही असली हिंदू संस्कृति है, जो भारतीय तहजीब का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की व्यापक सोच और इसके एकता व भाईचारे के संदेश को खास बताया और इसे दुनिया भर में फैलाने की मांग की।

भारतीय संस्कृति की विशेषता: एकता और भाईचारा

मजहर आसिफ ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल विचार यह है कि यह सभी को एक साथ लेकर चलने की सोच रखती है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में एकता और भाईचारे का संदेश देती है। उनका कहना था कि भारतीय संस्कृति की यही खासियत है, जो इसे अन्य संस्कृतियों से अलग बनाती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस सोच को फैलाएं, ताकि दुनिया में भारत की सही छवि पेश की जा सके।

सुभाष चंद्र बोस और भारतीय संस्कृति पर कही ये बात

कार्यक्रम में मजहर आसिफ ने भारतीय संस्कृति के आदर्शों का हवाला देते हुए कहा कि हमारे आदर्श सुभाष चंद्र बोस जी की पूरी जिंदगी हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी आत्मा को शुद्ध करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सबसे अच्छा हिंदू वही है, जिसके बदन से किसी भी जीव या गैर-जीव को नुकसान न पहुंचे। अगर आपने किसी दूसरी पार्किंग की जगह पर अपनी गाड़ी पार्क किया है, तो इसका मतलब आप हिंदू नहीं हैं। अगर आप पड़ोसी को नाराज करते हैं, तो आप हिंदू नहीं हैं। अगर आपने कूड़ा-कचरा फेंका है, तो आप हिंदू नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए।

इस्लाम और अन्य धर्मों पर विचार

मजहर आसिफ ने इस्लाम धर्म और अन्य धर्मों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस्लाम, क्रिश्चियन और दूसरे सभी धर्म सभी यह कहते हैं कि हम सबसे अच्छे हैं, लेकिन क्या आप नहीं देख सकते हैं कि दुनिया में कोई भी ऐसा दिन नहीं जब मानवता का कत्लेआम न हो रहा हो? भारतीय संस्कृति की सोच यह है कि हम सभी को एक साथ लेकर चलें, और यही हमारी संस्कृति का असली संदेश है।

मुंशी प्रेमचंद और काशी की खासियत

कार्यक्रम के दौरान मजहर आसिफ ने हिंदी साहित्य के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 'ईदगाह', 'दो बैलों की कथा' और 'दरोगा की भूमि' जैसी कृतियां भारतीय संस्कृति की गहरी समझ को प्रकट करती हैं। इसके साथ ही उन्होंने काशी में मौजूद भारत माता के मंदिर और सुभाष चंद्र बोस के मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों मंदिर दुनिया में कहीं नहीं हैं और यही हमें प्रभावित करते हैं।

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समाज में विचार और काम के तरीकों में सामंजस्य की जरूरत

मजहर आसिफ ने आज के समाज पर भी विचार रखते हुए कहा कि बिना नफरत के कोई मोहब्बत नहीं करता। जितना पढ़ा-लिखा व्यक्ति होता है, वह उतना ही झूठ बोलता है। वहीं, गांव का व्यक्ति जो कभी आधुनिक दुनिया से परिचित नहीं हुआ, वह कम झूठ बोलता है। उन्होंने समाज में विचारों और कामों के बीच तालमेल की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि विचार, सोच और काम करने की प्रणाली में एकता होनी चाहिए।

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