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Japanese Encephalitis in Delhi: दिल्ली में जेई की एंट्री हो चुकी है। ये एक तरह का वायरस है, जिसके सबसे ज्यादा मामले असम में पाए गए हैं। इस बीमारी से भारत में अभी तक करीब 1500 लोगों की मौत हो चुकी है।

Japanese Encephalitis in Delhi: दिल्ली में एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है। इस वायरस का नाम जापानी इंसेफेलाइटिस है। इस वायरस के सामने आने के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू कर दिया गया है। ये बीमारी जलपक्षियों से फैलती है और सूअरों में बढ़ती है। दिल्ली में ये पहला मामला 72 वर्षीय व्यक्ति में पाया गया है, जो उत्तम नगर का रहने वाला है। 

संपर्क में आने से नहीं फैलता जेई

72 वर्षीय रोगी को मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग और कई अन्य बीमारियां हैं। उसे 03 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में रहने के दौरान 6 नवंबर, 2024 को आईजीएम एलिसा के जरिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था। इसके बाद उसका इलाज कर 15 नवंबर को उसकी छुट्टी कर दी गई। बता दें कि ये बीमारी एक-दूसरे से संपर्क में आने से नहीं फैलती, इसलिए अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। संक्रमित क्यूलेक्स मच्छरों के जरिए लोगों में फैलता है। ये वायरस बुखार और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण बन सकता है। 

अब तक 1500 लोगों की हुई मौत

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल देश भर में जापानी इंसेफेलाइटिस के 1548 मामले सामने आए हैं। इनमें से इस साल 925 मामले तो सिर्फ असम से सामने आए हैं। यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली है। बता दें कि 2006 में इस बीमारी से देश में कुल 1500 लोगों की मौत हुई थी। अब यह फिर से दस्तक दे चुकी है।

बच्चों के लिए जेई वैक्सीन की दो खुराकें शामिल

साल 2013 से यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में बच्चों के लिए जेई वैक्सीन की दो खुराकें भी शामिल की गई हैं। जहां इस बीमारी का ज्यादा प्रकोप है, वहां वयस्कों में इसका टीकाकरण भी शुरू किया गया है। बीमारी की रोकथाम की तरफ से जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी ये बीमारी लगातार बढ़ रही है। 

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क्या हैं लक्षण

अगर इस बीमारी के लक्षणों की बात करें, तो बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित व्यक्तियों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते। मध्यम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द हैं और गंभीर लक्षणों में मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, बोलने में दिक्कत और स्पास्टिक पैरालिसिस शामिल हैं। 

बचने के लिए क्या करें?

इस बीमारी से बचने के लिए सभी लोगों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए, जिससे उनका शरीर पूरी तरह से ढका रहे। मच्छरों से बचकर रहना चाहिए और इसके लिए मच्छरदानी, कीटनाशक आदि इस्तेमाल करने चाहिए। अपने आसपास भरे हुए पानी को जल्द से जल्द साफ करें। नालियों, गलियों और घरों के आसपास सफाई रखनी चाहिए। 

टीकाकरण की सलाह

इस बीमारी से बचने के लिए टीकाकरण कराने की सलाह दी जाती है। जिन क्षेत्रों में ये बीमारी ज्यादा फैली हुई है, वहां पर भारतीय यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत एक टीका शामिल किया गया है। 

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