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Delhi Winter Night Shelters Condition: दिल्ली के रैन बसेरे में कड़कड़ाती ठंड के बीच बेड, कंबल और आवश्यक वस्तुओं में कमी है। इसकी वजह से लोग रैन बसेरों से बाहर सोने के लिए मजबूर हैं।

Delhi Winter Night Shelters Condition: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस समय हाड़ कंपाती सर्दी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है। रात के वक्त चलने वाली शीतलहर ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है। लेकिन शहर में रैन बसेरों की व्यवस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आलम यह है कि अधिकतर बेघर आग जलाकर सड़क किनारे रात गुजारने या चांदनी चौक जैसे बाजारों के गलियारों में सोने के लिए मजबूर हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जो रैन बसेरे इनके लिए स्थापित किए गए हैं, उनमें कंबल, गद्दों के साथ बेड और आवश्यक सुविधाओं में कमी है। स्थिति यह हो चुकी है कि कई रैन बसेरों को चलाने वाला कोई नहीं है। 

रैन बसेरों में रहने वाले लोग खुद से ही साफ-सफाई करने की व्यवस्था कर रहे हैं, जिनके पास वह व्यवस्था भी नहीं है, वह भी सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में कड़ाके की सर्दी के बीच बेघरों के दम तोड़ने के मामले भी सामने आ रहे हैं। 

रैन बसेरों में सुविधा न होने 76 की मौत

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की ओर से दिए गए आंकड़े बताते हैं कि बीते साल सर्दी के मौसम में 27 दिसंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक 10 दिनों में दिल्ली की सड़कों पर कुल 68 बेघरों ने दम तोड़ दिया था। इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत सर्दी की वजह से हुई थी। इस साल भी यह आंकड़ा बढ़कर 77 पहुंच गया है। 

सुविधा न होने से बाहर रहने के लिए मजबूर बेघर 

पुरानी दिल्ली में जब शुक्रवार को पड़ताल की गई, तो बेघरों की लंबी कतारें लगी हुई थी। सुभाष मार्ग पर दरियागंज के आगे चिड़िया बाजार के सामने बने रैन बसेरे में रहने के इंतजाम काफी कम है। वहां पर क्षमता से ज्यादा लोग हैं। इसलिए वह सभी सड़क पर आश्रय पाए हुए हैं। डिवाइडर पर प्लास्टिक डालकर सोने की व्यवस्था कर रखी है।

चांदनी चौक मुख्य मार्ग के किनारे स्थित दुकानों के सामने बरामदे में बड़ी संख्या में बेघर सोए रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक, आसपास में जितने भी रैन बसेरे हैं, उन सभी में व्यवस्था नाम की है। इसलिए वह बाहर सोने के लिए मजबूर हैं। 

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निगम बोध घाट आश्रय गृह में 100 बेघर 

दिल्ली में कुल 280 रैन बसेरे हैं, लेकिन फिर भी लोथियन चौक रेलवे पुल और रिंग रोड फ्लाईओवर के नीचे तथा निगम बोध घाट के पास बड़ी संख्या में लोग इस कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे सोते दिखे। निगम बोध घाट के पास आश्रय गृह बने हुए हैं, जिनमें केवल 100 लोग मिले। 

जरूरत पड़ने पर 100 अस्थायी शेल्टर होम बनाए जाएंगे

इस पूरे संबंध में डूसिब के सदस्य बिपिन राय ने बताया कि जिन-जिन रैन बसेरों में गद्दे और कंबल नहीं है या फिर खराब हो चुके हैं, उन्हें खरीदने के लिए ऑर्डर दिए गए हैं। जल्द से जल्द कंबलों को मंगवा लिया जाएगा। आगे उन्होंने बताया कि दिल्ली में फिलहाल 280 आश्रय गृह है। हां, अगर जरूरत पड़ती है, तो 100 और अस्थायी शेल्टर होम बनाए जाएंगे। 

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