Most Wanted Chor Dhaniram Mittal: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के घर में चोरी की नीयत से घुसे शख्स की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। अभिनेता पर जानलेवा हमला करने वाले इस कथित चोर ने सभी को सकते में डाल दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सेलिब्रिटीज भी अपने घरों में सुरक्षित नहीं हैं। कुछ लोग तो आरोप लगा रहे हैं कि यह शख्स मामूली चोर नहीं लग रहा, इसके पीछे बड़ी साजिश हो सकती है। बहरहाल, यह तो जांच पूरी होने के बाद ही उसका असल मकसद सामने आ पाएगा। लेकिन, आज आपको हरियाणा के ऐसे चोर की कहानी बताने जा रहे हैं, जो कि अपनी पर आ जाए तो उद्योगपति अंबानी के घर में भी सेंध लगा सकता है। हम देश के सबसे बड़े चोर धनीराम मित्तल की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।
धनीराम मित्तल चोरों का बेताज बादशाह
हरियाणा के भिवानी जिले का रहने वाला धनीराम मित्तल बचपन से पढ़ाई में होशियार था। उसे सरकारी नौकरी की चाह थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में उसने फर्जी कागजात तैयार कर रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी हासिल कर ली। छह साल तक सरकारी नौकरी करने के बाद उब गया। इसके बाद उसने जो कुछ किया, उसके चलते ठग और चोर उसे अपना गुरू मानने लगे।
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धनीराम बना वाहन चोरों का गुरू
धनीराम ने सबसे पहले फर्जी लाइसेंस बनाना शुरू किया। इसके बाद वो वाहन चुराने में भी एक्पर्ट हो गया। बताया जाता है कि उसके पास 1000 वाहन एकसाथ चुराने का रिकॉर्ड है। खास बात है कि वो रात को नहीं बल्कि दिनदहाड़े चोरी की वारदातों को अंजाम देता था। 80 के दशक की बात करें तो देश में कोई भी ऐसा चोर नहीं था, जो उसकी बराबरी कर सकता। उसे आखिरी बार 2016 में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वो तीन वाहनों को एक साथ चुराने का प्रयास कर रहा था। लेकिन, इससे पूर्व उसने जो कारनामे किए, उससे न केवल पुलिस अधिकारी बल्कि जज भी हैरान रह गए थे।
फर्जी जज बनकर कैदियों का मसीहा बना
बताया जाता है कि एक बार धनीराम को अखबारों से पता चला कि एक जज के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। धनीराम हेडराइटिंग एक्सपर्ट था। उसने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार का फर्जी लेटर तैयार कर संबंधित जज को आगामी आदेश तक कोर्ट न आने की सूचना दी। साथ ही, दूसरा लेटर लिखा कि 40 दिन तक कौन उनकी जगह मामले को सुनेगा। इसके बाद वो बतौर जज की कुर्सी पर काबिज हो गया और कई कैदियों को रिहा कर दिया। बताया जाता है कि उसने 40 दिन के अंतराल में 2470 मामलों की सुनवाई की। रेप और हत्या जैसे संगीन मामलों को छोड़कर शेष मामलों में कैदियों को रिहा कर दिया। जब मामला पकड़ में आया, तब तक देर हो चुकी थी।