Year-Ender 2023: दिल्ली में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं। राष्ट्रीय राजधानी में हर कोई राजनेताओं से लेकर नौकरशाहों और आम आदमी तक, समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ। वायु प्रदूषण का इतना प्रभाव था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रयास किया जाना चाहिए ताकि अगली सर्दी थोड़ी बेहतर हो और पराली जलाने की समस्या का हल ढूंढने पर जोर दिया। यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक रहा।
वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) 2023 के मुताबिक, दिल्ली को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में हवा लगातार खतरनाक श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर के बाद से दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 अंक से ऊपर बढ़ गया है। खराब वायु गुणवत्ता 3 नवंबर, 2023 को दर्ज की गई थी, जो 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए 471 के पिछले आंकड़े को पार कर गई थी।
राष्ट्रीय राजधानी में समस्याएं
विशेषज्ञों ने बताया कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को खराब श्रेणी में पहुंचाने के लिए निर्माण गतिविधि और परिवहन भी शामिल हैं। इस बीच, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाना राजधानी के वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं है। बल्कि, निर्माण गतिविधियां, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहन प्रदूषण जैसे शहरी कारक भी इसमें शामिल हैं। विशेषज्ञों की तरफ से कहा गया कि दिल्ली में पुराने वाहन 4.3 प्रतिशत पार्टिकुलेट मैटर (PM) छोड़ते हैं। एक BS-I डीजल कार BS-VI डीजल वाहन की तुलना में 31 गुना ज्यादा PM उत्सर्जित करती है। हालांकि, लैंडफिल और पड़ोस में खुले में जलाया जाने वाला कचरा दिल्ली की वायु समस्याओं में तीसरे स्थान पर है।
समस्या से निकलने के उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के कुछ उपाय हैं जिनमें हरेक घर से वाहनों पर सीमा लगाना, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का इस्तेमाल करना और पुराने वाणिज्यिक वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करना शामिल हैं। कचरा प्रबंधन और सभी सामाजिक अवसरों पर धुआं पैदा करने वाली आतिशबाजी पर कुछ हद तक काबू करना। सर्दियों के महीनों के दौरान, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बड़े पैमाने पर पराली जलाने के कारण धुंध की मोटी परत छा गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फसल जलाने से लगभग 149 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड और 9 मिलियन टन से ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है। दूसरी ओर, पटाखे भी इस बारहमासी समस्या में योगदान देते हैं।
स्मॉग टावर का भी नहीं दिखा असर
सीपी में लगभग 22 करोड़ की लागत से बना स्मॉग टावर भी लगभग फेल नजर आया। यह टावर 100 मीटर तक की हवा भी साफ नहीं कर सका। इसीलिए डीपीसीसी ने इसे भी बंद करने का फैसला ले लिया। हालांकि, इस मुद्दे पर भी तकरार देखने को मिली थी। सर्दियों में प्रदूषण की रोकथाम के लिए इस साल विंटर एक्शन प्लान जारी करने के साथ ही सभी हॉटस्पाट के लिए अलग एक्शन प्लान बनाया गया, लेकिन सख्ती के अभाव में बहुत प्रभावी साबित ना हुए। शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार रिपोर्ट एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स-2023 ने भी इस संबंध में भयावह तस्वीर प्रस्तुत की।
सरकार की तरफ से उठाए गए कदम
वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। दिल्ली सरकार ने कार्बन सिंक बनाने के लिए पेड़ों को संरक्षित करने और लगाने की नीति पेश की। शहर में एंटी स्मॉग गन और स्मॉग टावर भी लगाए गए। पराली जलाने की रोकथाम भी वायु प्रदूषण को कम करने का एक प्रमुख घटक है। किसानों को टर्बो हैप्पी सीडर खरीदने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। यह ट्रैक्टरों पर लगी एक मशीन है जो पराली को काटती और उखाड़ सकती है। दिल्ली सरकार ने दिल्लीवासियों को खराब AQI के दौरान सुबह-सुबह बाहर जाने और देर शाम को टहलने, जॉगिंग, दौड़ने और एक्सरसाइज करने से बचने की सलाह दी।
प्रदूषण से जंग में सियासी विवाद
बेनतीजा सुपरसाइट और स्मॉग टावर बंद करने के फैसले पर दिल्ली सरकार और डीपीसीसी अध्यक्ष के बीच जंग छिड़ गई थी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उनको सस्पेंड करने के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा तो मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से इसकी सिफारिश की थी। हालांकि, यह बात अलग है कि एलजी ने इस सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। वहीं, बीजेपी ने भी आप सरकार पर जमकर हमला बोला है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रदूषण से दिल्ली की जनता के बेहाल होने का दावा करते हुए कहा कि प्रदूषण से दिल्ली की जनता बहुत परेशान हो गई है और मुख्यमंत्री विपश्यना ध्यान केंद्र में लीन हैं।