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हरियाणा में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने मुख्य आयुक्त के समक्ष लेटर पेश किया जिसमें आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी एक माह पहले देने की बात कही। जबकि परिवादी ने एक माह बाद जानकारी मांगी थी। ऐसे में आयुक्त ने विभाग को गुमराह करने व तय समय में जानकारी न देने पर अधिकारी के ऊपर जुर्माना लगाने की कार्रवाई की।

अंबाला: सूचना एवं जनसंपर्क भाषा विभाग का नया कारनामा सामने आया। विभाग के एक जन सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि ने मुख्य सूचना आयुक्त के समक्ष आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना का एक महीने पहले ही जवाब देने का दावा किया। मजे की बात है कि अधिकारी की ओर से एक दस्तावेज भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें दी गई सूचना का जिक्र होने की बात कही गई। इस कारनामे से खफा मुख्य सूचना आयुक्त ने आयोग को गुमराह करने व समय पर सूचना न देने पर विभागीय अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस व 25 हजार रुपए जुर्माने की कार्रवाई की।

आरटीआई लगाकर मांगी थी सूचना

दरअसल अंबाला शहर के सेक्टर सात में रहने वाले नीरज चोपड़ा ने 18 दिसंबर 2022 को आरटीआई के जरिए महानिदेशक खजाना एवं लेखा विभाग चंडीगढ़ से एक सूचना मांगी थी। चोपड़ा ने सूचना के जरिए यह पूछा था कि किस नियम के तहत सूचना एवं जनसंपर्क व भाषा विभाग में बतौर प्रोडक्शन इंचार्ज तैनात कुलदीप राठी को आठ फीसदी अधिक हाउस रेंट का भुगतान किया जा रहा है। चोपड़ा ने आदेश की सत्यापित कापी मांगी थी। जानकारी देने के लिए यह सूचना दिल्ली के खजाना अधिकारी को भेज दी गई।

तय समय में परिवादी को नहीं मिली सूचना

यह मामला सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग दिल्ली के तत्कालीन संयुक्त निदेशक कार्यालय को भेजी गई। तय समय के भीतर कोई सूचना परिवादी को नहीं दी गई। इसके बाद नीरज चोपड़ा की ओर से राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील दायर कर दी गई। आयोग के आदेश के बावजूद विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक एवं राज्य जनसूचना अधिकारी रणबीर सांगवान ने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि आयोग में सुनवाई के दौरान लोकसंपर्क अधिकारी की ओर से जवाब दायर किया गया।

सूचना देने का आयुक्त को दिखाया लेटर

सूचना विभाग के अधिकारियों ने नीरज चोपड़ा को 25 नवंबर 2022 को सूचना प्रदान करने के एक लेटर की कापी आयुक्त के समक्ष पेश की। मुख्य सूचना आयुक्त ने इस रिप्लाई को रिकॉर्ड में लिया। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि नीरज ने तो 18 दिसंबर 2022 को सूचना मांगी थी लेकिन एक महीने पहले यानि 25 नवंबर 2022 में विभाग ने किस आधार पर परिवादी को सूचना उपलब्ध करवा दी। आयोग को गुमराह करने के लिए विभाग की ओर झूठा दावा किया गया है। जबकि असलियत यह है कि 19 महीने बाद भी उसे अभी तक सूचना नहीं दी गई।

राज्य जन सूचना अधिकारी को दिया नोटिस

मुख्य सूचना आयुक्त ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य जन सूचना अधिकारी विजेंद्र कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में यह साफ कहा गया कि क्यों न आयोग को गुमराह करने व समय पर सूचना न देने के लिए उन पर 25 हजार का जुर्माना लगाया जाए। आयुक्त ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले तत्कालीन संयुक्त निदेशक समेत सभी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही। आयोग ने 15 दिन में सूचना उपलब्ध करवाने के भी आदेश दिए हैं। इस मामले में सभी को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने की बात कही है।

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