sports in haryana : भिवानी। खेल विभाग सरकारी, निजी स्कूलों और पंचायतों के जरिए बच्चों में खेल प्रतिभा ढूंढने जा रहा है। खेल विभाग ने कम से कम आठ साल के बच्चों में खेल प्रतिभा तरासने का फैसला लिया है। अब खेल विभाग सरकारी, निजी स्कूलों के साथ-साथ पंचायतों से भी खेल नर्सरी चलाने के लिए आवेदन मांगने शुरू कर दिए हैं ताकि बचपन से ही बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ खेल के प्रति रुचि बनाकर उनकी प्रतिभा को सही मुकाम दिया जा सके। खेल विभाग ने यह निर्णय प्रख्यात खिलाड़ियों के बीते इतिहास को खंगालने के बाद लिया है।
500 खेल नर्सरी में सिखाएंगे सरकारी कोच, 1000 खुद संभालनी होगी
खेल विभाग का तर्क है कि प्रख्यात खिलाड़ियों को बचपन से ही खेल प्रतिभा को तरासने का मौका मिला, जिसके चलते खेल विभाग ने छोटे बच्चों को स्कूल व पंचायत स्तर पर खेल नर्सरी स्थापित करने का फैसला लिया है। खेल विभाग के उपनिदेशक ने प्रदेश के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों व पंचायतों को पत्र भेजकर खेल नर्सरी स्थापित करवाए जाने की मंशा जानी है। भेजे गए निर्देशों में कहा गया है कि अगर वे अपने यहां पर खेल नर्सरी स्थापित करवाए जाने के इच्छुक हैं तो वे खेल के हिसाब से डिमांड भेजें। इसमें ओलंपिक व नॉन ओलम्पिक दोनों तरह के खेल शामिल होंगे। पूरे प्रदेश में 500 खेल नर्सरी तो विभागीय प्रशिक्षकों द्वारा संचालित की जाएगी तथा बाकी एक हजार खेल नर्सरी सरकारी, गैर सरकारी तथा ग्राम पंचायतों को अलॉट की जाएगी।
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एक अप्रैल से 31 जनवरी तक संचालित होंगी खेल नर्सरियां
भेजे गए निर्देशों में बताया गया है कि सरकारी, गैर सरकारी व ग्राम पंचायतों के तहत खोली जाने वाली खेल नर्सरियां पहली अप्रैल से लेकन 31 जनवरी तक संचालित होंगी। इन खेल नर्सरियों में 8 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक की आयु के बच्चों का ट्रायल के आधार पर चयन होगा। इसके लिए खेल विभाग शारीरिक योग्यता व खेल परीक्षा आयोजित करेगा। उसके बाद ही बच्चे का खेल नर्सरी के लिए चयन हो पाएगा। खेल नर्सरी एक संस्थान को एक ही मिल पाएगी। एक से ज्यादा खेल नर्सरी अलॉट नहीं होगी। जिसका पूरा रिकार्ड ऑनलाइन रहेगा। प्रत्येक नर्सरी में कम से कम 20 तथा अधिकतम 25 खिलाड़ी होंगे। इनके अलावा हरेक नर्सरी के लिए प्रतिक्षा सूची में दस खिलाड़ियों को रखा जाएगा। अगर कोई खिलाड़ी किसी कारणवश नर्सरी छोड़ जाता है तो वरिष्ठता क्रम के आधार पर उस प्रतीक्षा सूची से भरा जा सके। साथ ही विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी खेल नर्सरी में 20 खिलाड़ियों से संख्या कम रह जाती है तो उस खेल नर्सरी को बंद भी किया जा सकेगा।
दो घंटे सुबह तो तीन घंटे शाम बहाना पड़ेगा पसीना
जिन बच्चों का खेल नर्सरी के लिए चयन होगा। उन बच्चों को दो घंटे सुबह तथा तीन घंटे शाम को खेल मैदान में पसीना बहाना होगा। सुबह साढ़े पांच बजे से लेकर नौ बजे तक किन्हीं दो घंटे तक शारीरिक शिक्षक की देखरेख में खेल के गुर सीखने होंगे। इसी तरह शाम के वक्त 3 बजे से लेकर आठ बजे तक किन्हीं तीन घंटे खेल अभ्यास करना निहायत जरूरी होगा। आठ से 14 साल तक के बच्चों को 15 सौ रुपये तथा 15 से 19 साल तक के बच्चों को 2000 रुपये छात्रवृति के रूप में खुराक राशि दी जाएगी, जो उनके बैंक खाते में विभाग द्वारा सीधी भेजी जाएगी।
इंटर नर्सरी प्रतियोगिता के जरिए जांचा जाएगा खिलाड़ियों के खेल का स्तर
एक साल तक बाल खिलाड़ियों को खेल प्रशिक्षक द्वारा खेल के गुर सिखाने के बाद उनका खेल का स्तर जांचा जाएगा। इसके लिए एक वर्ष बाद इंटर नर्सरी खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाएगा। उसमें यह भी जांचा जाएगा कि किस खिलाड़ी ने क्या सीखा ओर कौन से खिलाड़ी की प्रतिभा चमकी या फीकी रही। अगर कोई कमी रहती है तो उस कमी को खेल प्रशिक्षक प्रशिक्षण देकर पूरी करवाएगा।
नशीले पदार्थ व असामाजिक गतिविधियों से खिलाड़ी रखने होंगे दूर
खेल विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि खेल नर्सरी का कोई भी खिलाड़ी नशीले पदार्थ के सम्पर्क में न हो। साथ ही खिलाड़ियों को असामाजिक गतिविधियों से दूर रहना होगा। इसके लिए खेल नर्सरी संचालक की भी जिम्मेदारी तय रहेगी। वे खिलाड़ियों पर इस तरह की बुराई से बचाने के लिए नजर बनाए रखेंगे। हालांकि खेल विभाग के उपनिदेशक व जिला खेल अधिकारी प्रत्येक माह में कम से कम एक बार प्रत्येक खेल नर्सरी का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो उस बारे में तत्काल खेल विभाग को सूचना दी जाए और खेल नर्सरी को बंद कर दिया जाएगा।