फतेहाबाद: विधानसभा चुनावों के लिए जहां कांग्रेस की टिकटों पर अभी तक पेंच फंसा हुआ है, वहीं भाजपा ने देर रात उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुनावी माहौल गरमा दिया है। भाजपा ने फतेहाबाद से दुड़ाराम पर फिर से विश्वास जताया, जबकि रतिया विधायक लक्ष्मण नापा अपनी टिकट बचाने में नाकामयाब रहे। भाजपा ने विरोध के बावजूद रतिया से पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा। टोहाना से देवेन्द्र बबली भाजपा टिकट लाने में कामयाब रहे।
भाजपा उम्मीदवारों के समारोह से नेताओं की दूरी
वीरवार को भाजपा के तीनों उम्मीदवारों का भाजपा जिला कार्यालय में स्वागत हुआ, जहां पर राजस्थान के सीकर से पूर्व सांसद रहे स्वामी सुमेधानंद, फतेहाबाद विधानसभा के प्रवासी प्रभारी पूर्व मंत्री सुरजीत ज्याणी व भाजपा जिलाध्यक्ष बलदेव ग्रोहा ने उनका स्वागत किया। जिला में भाजपा के सबसे बड़े नेता सुभाष बराला व अन्य वरिष्ठ नेता चेयरमैन वेद फुलां, चेयरमैन भारत भूषण मिढ़ा, टिकट के दावेदार रहे राजपाल बैनीवाल व अनिल सिहाग, प्रवीन जोड़ा कार्यक्रम से नदारद रहे। सुभाष बराला के पास इस समय चुनाव के लिए पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है।
कांग्रेस में चयन पर फंसा पेंच
भाजपा ने जहां जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए और तीनों उम्मीदवारों ने चुनावी प्रचार भी शुरू कर दिया। वहीं कांग्रेस में अभी उम्मीदवारों के चयन को लेकर पेंच फंसा हुआ है। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के 3-3 से ज्यादा दावेदार हैं। यह सभी दावेदार अभी दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में भाजपा फिलहाल कांग्रेस पर बाजी मारती नजर आ रही है।
भाजपा उम्मीदवारों का नामांकन शैड्यूल
टोहाना विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र बबली सात सितम्बर को, रतिया से सुनीता दुग्गल नौ सितम्बर को तथा फतेहाबाद से दुड़ाराम 11 सितम्बर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। टिकट मिलने के बाद वीरवार सुबह विधायक दुड़ाराम किरमारा धाम पहुंचे और वहां पूजा अर्चना कर विधानसभा के नागरिकों की सुख समृद्धि की कामना की।
दुड़ाराम का राजनीतिक सफर
फतेहाबाद से भाजपा उम्मीदवार दुड़ाराम ने विधायक के लिए अपना पहला चुनाव 2003 में कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। 2004 में कांग्रेस के लिए आम चुनाव लड़ा और जीत गए। 2009 में फिर कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वे निर्दलीय प्रत्याशी प्रहलाद गिल्लांखेड़ा के हाथों हार गए। 2014 के चुनाव में उन्हें हार मिली। 2019 के चुनाव में वे एन मौके पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए और टिकट लेकर भाजपा को जीत दिला गए। अब फिर भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारा है।
सुनीता दुग्गल का राजनीतिक सफर
रतिया से भाजपा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल ने 2014 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में हाथ आजमाया और रतिया सीट से भाजपा की टिकट पर उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उन्होंने पहले ही चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया, हालांकि मात्र 435 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्हें भाजपा ने चेयरपर्सन बना दिया। 2019 में उन्हें सिरसा लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा और संसद में प्रवेश किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी टिकट कट गई, लेकिन उन्होंने बगावती तेवर नहीं दिखाए। इसका इनाम अब उन्हें रतिया से प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने दे दिया है।
देवेन्द्र बबली का राजनीतिक सफर
टोहाना से देवेंद्र बबली ने 2007 के बाद टोहाना में बतौर उद्योगपति व समाजसेवी अपनी सक्रियता बढ़ाई। वर्ष 2014 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। 2019 में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने के बावजूद वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए और ऐन मौके पर जेजेपी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया। चुनाव जीतकर वह पंचायत मंत्री बने, लेकिन जेजेपी और भाजपा गठबंधन टूटने के बाद उन्होंने जेजेपी से दूरी बनानी शुरू कर दी और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से टिकट ना मिलने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और टिकट लेने में सफलता हासिल की।