First CM Bhagwat Dayal Sharma: हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा के पुश्तैनी घर को बेचने का मामला सामने आया है। इस घर में पंडित भगवत दयाल शर्मा का जन्म हुआ था। भगवत दयाल शर्मा की पुत्रवधू ने आरोप लगाया है कि उनके ससुर के पुश्तैनी घर को गलत तरीके से बेचने की कोशिश की जा रही है। इस बात से परेशान होकर उनकी पुत्रवधू ने पैतृक मकान पर लिखवा दिया कि 'यह मकान बिकाऊ नहीं है।'
जमीन से परिवार का भावनात्मक रिश्ता- आशा शर्मा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंडित भगवत दयाल शर्मा ट्रस्ट की अध्यक्ष आशा शर्मा का कहना है कि वह दयाल शर्मा की पुत्रवधू है। कुछ लोग बार-बार उनकी ऐतिहासिक संपत्ति को खरीदने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि मकान को बेचा ही नहीं जा रहा। यह मकान पूर्व मुख्यमंत्री की विरासत है। परिवार इससे जुड़े भावनात्मक रिश्तों को खत्म नहीं करना चाहता।
ग्राहकों से परेशान हो चुका परिवार- आशा शर्मा
आशा शर्मा का कहना है कि उनके ससुर पंडित भगवत बेरी गांव के रहने वाले थे। बेरी गांव में भी उनकी पुश्तैनी विरासत है, वहां पर करीब 300 गज का एक प्लाॅट है, जो कि खाली पड़ा है। आशा ने बताया कि पंडित भगवत जिस घर में रहते थे, वह 150 गज का है। उन्होंने बताया कि इस संपत्ति को लेकर परिवार में विवाद चल रहा है। कुछ लोगों ने इसे बेचने और खरीदने का प्रयास भी किया है।
उनका कहा है कि पहले पूर्व सीएम के मकान को 2 बार बेचने की कोशिश की है। 2 बार खरीददारों ने इसे लेकर बयाना भी दे दिया है, लेकिन हमने इस डील को रुकवा दिया है। आशा शर्मा का कहना है कि उनका परिवार लगातार आने वाले ग्राहकों से परेशान हो चुका है। उन्होंने कहा कि गांव की जमीन उनकी ऐतिहासिक विरासत है। पुश्तैनी मकान को बेचने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
पुश्तैनी जमीन हमारी सांस्कृतिक धरोहर-आशा शर्मा
आशा शर्मा ने बताया कि उनका पूरा परिवार झज्जर के बेरी गांव में रहता है। लेकिन, आज भी वह इस ऐतिहासिक मकान से भावनात्मक तौर पर जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह मकान एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे सहेजना उनका कर्तव्य है। आशा का कहना है कि उनका परिवार चाहता है कि इस मकान में लाइब्रेरी और बुजुर्गों के बैठने के लिए जगह बनाई जानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी प्रदेश के पहले सीएम की विरासत के बारे में जानकारी हासिल कर सके।
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आशा शर्मा ने लोगों को दी नसीहत
ऐसै कहा जा रहा है कि इस मामले को लेकर गांव के लोगों का कहना है कि इस मकान में पंडित भगवत दयाल का जन्म जरूर हुआ था, लेकिन यह उनके हिस्से की जमीन नहीं है। गांव वालों ने इस मकान को बैनी प्रसाद के परिवार का बताया है। गांव वालों का कहना है कि भगवत दयाल को रोहतक में उनकी बुआ ने गोद लिया हुआ था। जिसके बाद उनका जमीन से कोई संबंध नहीं है। दूसरी तरफ आशा शर्मा ने लोगों से बहकावे में न आने की अपील की है, उन्होंने बोर्ड पर लिखवाकर लोगों संदेश दिया कि वह पुश्तैनी जमीन को नहीं बेच रहे हैं, उनका मकान बिकाऊ नहीं है।
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