Abhay Singh: इन दिनों सोशल मीडिया पर आईआईटीयन बाबा अभय सिंह छाए हुए हैं। प्रयागराज महाकुंभ से उनके कई इंटरव्यू वायरल हुए है। जिसके बाद हर कोई हैरान है कि मुंबई आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद कोई अध्यात्म का रास्ता कैसे चुन सकता है। पूरे देश के साथ उनके माता-पिता को भी ये नहीं पता कि आखिर अभय की जिंदगी में ऐसा क्या हुआ, जो उन्होंने बाबा बनने का फैसला लिया। फिलहाल, उनके माता-पिता अभय के घर वापस आने और अपने बेटे से फोन पर बात का इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, अभय सिंह हरियाणा के झज्जर के सासरौली गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम कर्ण सिंह है और वह पेशे से वकील हैं और झज्जर बार के प्रधान भी रह चुके हैं। एक हिंदी न्यूज चैनल ने अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह से बात की है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा बचपन से ही पढ़ने लिखने में होशियार था और अच्छी रैंक आने के बाद उसका एडमिशन मुंबई आईआईटी में हो गया था। वहां उसने चार साल तक पढ़ाई भी की। वह कोरोना काल में अपनी बहन के पास कनाड़ा भी गया और उसने कुछ दिन वहां नौकरी भी की। हालांकि, उसने कभी भी अध्यात्म के बारे में घर में किसी से बात नहीं की और अचानक सोशल मीडिया से ही इस बात की जानकारी हुई कि उसने अध्यात्म का रास्ता चुन लिया है।
छह महीने पहले कर दिया था ब्लॉक
अभय के पिता ने ये भी बताया कि उसने घर के सभी लोगों को छह महीने पहले ब्लाक कर दिया था और उसकी किसी से भी बात नहीं हुई है। किसी को नहीं पता था कि अभय कहां और सब उन्हें ट्रक करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, अभय किसी भी नहीं मिला। मीडिया चैनल से बात करते वक्त अभय के पिता भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे पर किसी तरह का दबाव नहीं डालेंगे। बस इतना ही चाहते हैं कि वो घर जाएं। उनके पिता को पूरा भरोसा है कि अभय अपनी मां की बात जरूर मानेंगे। क्योंकि जब बचपन में वो रूठ जाया करते थे, तो उनकी मां ही उन्हें मनाया करती थी।
डॉक्टर ने पिता को बताई थी अभय के अध्यात्म में जाने की बात
न्यूज चैनल से बात करते हुए कर्ण सिंह ने बताया कि कनाडा से वापस आने के बाद वह अभय को भिवानी के एक नैचुरल पैथी चिकित्सालय में ले गए थे। वहीं पर मैडिटेशन के दौरान वहां के डॉक्टरों ने अभय के अध्यात्म में जाने की बात बताई थी। हालांकि, अभय के इस फैसले से परिवार के लोग खुश नहीं है।