Governor Bandaru Dattatreya: कैथल में आज यानी 19 मार्च बुधवार को कैथल के महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में सभी स्टूडेंट्स स्वदेशी परिधान में शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने शिरकत की है। राज्यपाल ने अपने खुद के स्टूडेंट जीवन को समारोह में मौजूद स्टूडेंट्स के साथ साझा करते हुए शिक्षा के महत्व को बताया है। कार्यक्रम का आयोजन आरकेएसडी कॉलेज के हॉल में किया गया।

संस्कृत भाषा मन को शांति देने वाली- बंडारू दत्तात्रेय

समारोह में बंडारू दत्तात्रेय ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि, जब वह स्टूडेंट थे,उस वक्त उनकी मां प्याज बेचती थीं। उन्होंने कहा कि वह अपनी मां के काम में उनकी मदद करना चाहते थे, लेकिन उनकी मां ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। उनकी माता उनसे कहती थीं कि तुम पढ़ाई पर ध्यान लगाओ, तुम पढ़ो और सफल बनो, आज वे राज्यपाल हैं। समारोह में उन्होंने स्टूडेंट्स को संस्कृत भाषा के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 'संस्कृत देवभाषा है। यह मन को शांति देने वाली है।

हमारा देश आजाद होने के बाद भी देवभाषा को हर जगह नहीं ले जा पाए। अब विद्यार्थी इस कार्य को पूरा करने के लिए डिग्रियां ले रहे हैं। सारी भारतीय भाषाओं का मूल संस्कृत है। पहले मातृभाषा को सीखें। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को सिखाने का प्रावधान है। इसमें विद्यार्थी डिग्रियां कर सकेंगे। चीन जैसे देशों में 100 वर्षों संस्कृत को पढ़ा जा रहा है।'

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बंडारू दत्तात्रेय समेत यह भी रहे मौजूद

समारोह में काफी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए। स्टूडेंट्स धोती-कुर्ता या फिर कुर्ता-पायजामा पहनकर कार्यक्रम में बुलाया गया। इन्हीं परिधानों में स्टूडेंट्स को डिग्रियां बांटी गई। विद्यार्थियों को गाउन और टोपी नहीं पहनाई गई। फीमेल स्टूडेंट्स ने साड़ी पहनकर शामिल हुईं। यूनिवर्सिटी के कुलपति रमेश चंद्र भारद्वाज का कहना है कि यह यूनिवर्सिटी का पहला दीक्षांत समारोह है।

रमेश चंद्र ने बताया कि जब से यूनिवर्सिटी बनी है, तब से प्रयास था कि दीक्षांत समारोह हो। कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय गुजरात के कुलपति प्रोफेसर सुकांत कुमार सेनापति रहे। इसके अलावा विशिष्ट अतिथि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार रहे।  

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