विज्ञान ने समय के साथ काफी तरक्की कर ली है, लेकिन आज भी कई रहस्यमयी चीजें वैज्ञानिकों की समझ से परे हैं। ऐसा ही रहस्यमयी स्थान हिसार के हांसी शहर में स्थित है। यहां के समधा मंदिर में एक बेहद प्राचीन वट वृक्ष है, जो कि जड़ों से उखड़ने के बावजूद हवा में लटक रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि हवा में लटकने के बावजूद यह पेड़ पूरी तरह से हरा-भरा है। इस पेड़ के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। अगर कभी मौका हो, तो हांसी के समधा मंदिर जाकर इस पेड़ के अवश्य दर्शन करने चाहिए क्योंकि इस पेड़ की कहानी सुनकर आप इसके दर्शन करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। तो चलिए देर किए बिना बताते हैं कि इस वट वृक्ष के पीछे का रहस्य...
इस वट वृक्ष पर जगन्नाथ पुरी महाराज का आशीर्वाद
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस वट वृक्ष पर जगन्नाथ पुरी महाराज का आशीर्वाद है। यही वजह है कि जड़ से उखड़ने के बाद भी यह वट वृक्ष हरा भरा है, हवा में लटका दिखाई देता है। ग्रामीणों की मानें तो बाबा जगन्नाथ पुरी महाराज ने 1586 इसवीं में हांसी के इसी वट वृक्ष के नीचे डेरा लगाया था। उस वक्त हांसी में कोई भी हिंदू नहीं था। बाबा जगन्नाथ पुरी ने इसी पेड़ के नीचे सालों तक कठोर तपस्या की और यहीं पर समाधि ली थी। ग्रामीणों का कहना है कि इस वट वृक्ष को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। इस पेड़ पर सूत और नोट बांधकर लोग मन्नत मांगते हैं।
वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की ये वजह बताई
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ वैज्ञानिकों ने इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण भी बताया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बरगद की जड़ें जमीन से गहराई तक मजबूती से जुड़ी रहती हैं। इस बरगद के पेड़ की लटकी शाखा भी जमीन से जुड़कर गहरी जड़ें बन चुकी हैं। इस जड़ को प्रोप रूट कहा जाता है। यह इतनी मजबूत होती है कि सभी शाखाएं टूटने के बाद भी पूरे पेड़ का भार उठाने में सक्षम है। यही वजह है कि इतने सालों बाद भी यह पेड़ हवा में लटका दिखाई देता है।
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दिल्ली से कैसे पहुंचे हांसी
अगर आप भी हांसी के समधा धाम में जाकर इस रहस्यमयी वट वृक्ष के दर्शन करने जाना चाहते हैं, तो आपको दिल्ली से हांसी जाने का मार्ग बताते हैं। दिल्ली से हांसी-हिसार के लिए सीधी बसें चलती हैं। वहीं, ट्रेन से जाना है तो दिल्ली से वाया रोहतक, भिवानी होकर हिसार तक पहुंच सकते हैं। हिसार से हांसी की दूरी महज 25 किलोमीटर है। हिसार से भी हांसी के लिए सीधी बसें चलती हैं।