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हरियाणा में अक्षय तृतीया की तारीख सबसे बड़े वैवाहिक सावे की तारीख के रूप में जानी जाती रही है। इसे अबूझ मुहूर्त तिथि भी माना जाता है। 24 सालों में पहली बार ऐसा संयोग बन रहा है कि अक्षय तृतीया के दिन शादियां पहले की अपेक्षा काफी कम होंगी।

Fatehabad: सालों से अक्षय तृतीया की तारीख सबसे बड़े वैवाहिक सावे की तारीख के रूप में जानी जाती रही है। इसे अबूझ मुहूर्त तिथि भी माना जाता है, क्योंकि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। शुभ कार्य संपन्न करने के लिए अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। लेकिन, इस बार अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में विवाह के लिए एक भी मुहूर्त नहीं है। हालांकि इस दिन शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त बनाए हुए है, पर शुभ विवाह के लिए एक भी संयोग नहीं बन रहा। 24 सालों में पहली बार ऐसा संयोग बन रहा है कि अक्षय तृतीया के दिन शादियां पहले की अपेक्षा काफी कम होंगी। इसके अलावा जो लोग गर्मी के मौसम में विवाह करने की सोच रहे हैं, उन्हें भी यह मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि मई और जून में भी विवाह मुहूर्त नहीं होंगे।

2 महीनों तक नहीं हो सकेंगी शादियां

ज्योतिष आचार्य ने बताया कि बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से विवाह मुहूर्त नहीं है। इससे पहले सन 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार 23 अप्रैल से 29 जून तक शुक्र तारा अस्त रहेगा। इसी बीच गुरु तारा 6 मई से 2 जून तक अस्त रहेगा। गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे। विवाह के लिए गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है। इन दोनों में से किसी एक तारे के भी अस्त रहने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।

मई में गुरू तो जून तक शुक्र तारा अस्त, 9 जुलाई से बजेंगी शहनाईयां

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जो लोग गर्मी के मौसम में विवाह करने की सोच रहे हैं, उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा। मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। इसकी वजह इन दोनों माह में शुक्र और गुरू ग्रह का अस्त होना है। इसके उदित होने के बाद जुलाई में ही मुहूर्त शुरू होंगे। 24 वर्ष बाद मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा। शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरू होगी। जुलाई में क्रमश: 9 ,11, 12, 13 व 15 जुलाई विवाह की तारीख हैं। इनमें अपने चंद्र बल व गुरु बल की गणना से विवाह के लिए तारीख का चयन किया जा सकता है।

ये हैं विवाह के शुभ मुहूर्त

जुलाई में 9 से 15 जुलाई (8 दिन), अक्टूबर माह में 3, 7, 17, 21, 23, 30 (6 दिन), नवंबर माह में 16 से 18 नवम्बर, 22 से 26 नवम्बर व 28 नवम्बर (9 दिन), दिसंबर माह में 2 से 5 दिसम्बर, 9 से 11 दिसम्बर, 13 से 15 दिसम्बर (10 दिन) विवाह के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। इन तारीखों पर लोग विवाह समारोह का आयोजन कर सकते है। पंडित राजेश शर्मा ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम, हयग्रीव और नर-नारायण का अवतरण धरती पर हुआ था। ये तीनों ही भगवान विष्णु के अवतार माने गये हैं। इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत भी हुई थी। वहीं मान्यताओं के अनुसार इसी दिन द्वापर युग का समापन भी हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन से ही हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुलते हैं।

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