Ambala : कर्ज में डूबी बनौंदी शुगर मिल को अटैच करने के आदेश जारी हो चुके हैं। अदालत के इन आदेशों के बाद वे किसान परेशान हैं जिनका करोड़ों रुपए का भुगतान मिल की तरफ बकाया है। ऐसे में अब किसान मिल को अटैच करने के विरोध की तैयारी कर रहे हैं। किसान यूनियनों ने बुधवार को एसडीएम ऑफिस के सामने धरने का ऐलान किया है। किसानों का कहना है कि अगर मिल कुर्क हो गई तो उनका बकाया भुगतान डूब जाएगा। ऐसे में किसानों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान होगा।
6000 किसानों का 70 करोड़ बकाया
बनौंदी शुगर मिल की ओर से 6000 से ज्यादा किसानों का करीब 70 करोड़ रुपए बकाया है। पिछले लंबे समय से किसान इन लंबित भुगतान के लिए धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि कर्ज में डूबी मिल किसानों की इस पेमेंट का भुगतान नहीं कर पा रही है। ऐसे में हर साल किसानों के लंबित भुगतान की रकम बड़ी होती जा रही है।
जेल की हवा खा रहे हैं मालिक
चीनी मिल को डूबोने में काफी हद तक मालिक राहुल आनंद व सहयोगियों का हाथ है। आरोप है कि राहुल आनंद ने कई अलग-अलग कंपनियां बनाकर सहयोगियों के साथ मिलकर एनएसईएल में 122 करोड़ का घोटाला किया। 3 साल पहले हरको बैंक के जीएम की शिकायत पर शहजादपुर पुलिस ने राहुल आनंद पर केस दर्ज किया था। इसके बाद जांच में मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर राहुल आनंद को गिरफ्तार किया गया, जो जेल में बंद हैं।
400 करोड़ के कर्ज में डूबी मिल
बनौंदी शुगर मिल 400 करोड़ के कर्ज में डूबी है। पता चला है कि मिल की ओर हरको बैंक के करीब 120 करोड़, इरेडा के 200 करोड़ व किसानों के 70 करोड़ की रकम बकाया है। मिल घाटे में होने की वजह से हर साल यह रकम बढ़ती है। बढ़ते कर्ज की वजह से मामला अदालत में चला गया। इसी वजह से अदालत ने मिल को कुर्क कर बकाया भुगतान के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष भी किसानों ने कुछ दिन मिल की ओर किसानों के बकाया गन्ने के भुगतान का जिक्र किया था। तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि शुगर मिल निजी है। इसे लाभ में लाकर किसानों का बकाया लोन उतारा जाएगा। सरकार ने चीनी मिल को केवल टेकओवर किया है।
फसल लोन के 35 लाख डकारे
2014 में राज्य सरकार की ओर से फसल लोन की योजना आई थी। योजना के मुताबिक कोई भी गन्ना उत्पादक किसान शुगर मिल की गारंटी पर 3 लाख तक का क्रॉप लोन ले सकता है। इस योजना का फायदा शुगर मिल ने उठाया। उसने किसानों को बहला फुसलाकर 600 से अधिक किसानों के नाम पर दो बैंकों से 35 करोड़ से अधिक का लोन ले लिया। जबकि किसानों को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। मिल प्रबंधन ही पूरा पैसा हजम कर गया। जांच के दौरान ही यह बात सामने आई थी।