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ED Raids in Haryana: हरियाणा में करीब 15 नेताओं के अलग-अलग ठिकानों पर ईडी ने छापामारी की है। विपक्षी दल जहां इसके पीछे सरकार की साजिश बता रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष पलटवार कर रहा है। सीएम नायब सैनी ने भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है।

ED Raids in Haryana: हरियाणा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद सियासत गरमा गई है। हरियाणा में कांग्रेस नेता और विधायक राव दान सिंह से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 15 नेताओं के विभिन्न ठिकानों पर ED ने छापामारी की है। इस छापामारी का सीएम नायब सैनी ने स्वागत किया है। उन्होंने करनाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह कानूनी मामला है, इसमें कोई दखल नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि ईडी एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है, जो कई चीजों का ध्यान रखती है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। 

कांग्रेस और आप को घेरा  

सीएम सैनी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा। सैनी ने कहा कि दोनों पार्टियां झूठ की राजनीति करती हैं। सत्य से इन पार्टियों का कोई लेना देना नहीं है। यह पार्टियां झूठ का सहारा लेकर काम करती हैं। सतलुज पानी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सीएम सैनी ने कहा कि हरियाणा में लाखों एकड़ जमीन पानी के इंतजार में है, लेकिन वादे सिर्फ वादे बनकर रह गए, उन्हें पूरा नहीं किया गया। हरियाणा की जनता यह अच्छी तरह समझती है कि झूठी राजनीति कौन कर रहे हैं। 

'अपने कार्यकाल को याद करें'

सीएम सैनी ने दीपेंद्र हुड्डा के 'हरियाणा मांगे हिसाब' अभियान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि दीपेंद्र हुड्डा से 11 सवाल पूछे हैं। दीपेंद्र हुड्डा को इन सवालों का जवाब देना चाहिए। दीपेंद्र हुड्डा का महिलाओं के बीच बैठकर खाना खाने से उनका कुछ होने वाला नहीं है। उन्हें अपने कार्यकाल का समय याद करना चाहिए कि उन्होंने आखिर जनता के लिए कितने काम किए हैं। सीएम नायब सैनी ने पूर्व सीएम के कार्यकाल का जिक्र करते हुए उनसे पूछा है कि कांग्रेस ने अपने 10 साल के राज में कौन-कौन से अहम काम किए हैं।

कांग्रेस और भाजपा में भिड़ंत होना तय

सीएम सैनी कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिए हैं कि वह कांग्रेस द्वारा फैला रहे झूठे प्रचार को गांव-गांव लेकर जाएंगे और इसका जवाब देंगे। इसके अलावा अमित शाह ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि वह अपना हिसाब हर गांव में जाकर देंगे और कांग्रेस को भी अपना हिसाब देना चाहिए। ऐसे में यह तय है कि विधान सभा चुनावों से पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनीतिक दलों में अपनी-अपनी सरकारों के 10-10 सालों के कार्यकाल के हिसाब-किताब को लेकर जबरदस्त भिड़ंत होना तय है। 

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