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हरियाणा की करनाल सीट पर मनोहर लाल से पहले भी पंडित भगवत दयाल व चौ. भजनलाल दो मुख्यमंत्री चुनाव लड़ चुके हैं। 2024 में यहां भाजपा को मोदी की गारंटी का सहारा है। कांग्रेस की पूरी उम्मीद समीकरणों की रणनीति पर टिकी हुई है।

धर्मेंद्र खुराना, करनाल।  करनाल लोकसभा क्षेत्र से इस बार भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को मैदान में उतारा है लगातार तीसरी बार पार्टी ने इस सीट से पंजाबी कार्ड खेला है। भाजपा ने पूर्व सीएम मनोहर लाल को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस के समक्ष कड़ी चुनौती पेश कर दी हैं। भाजपा जहां मोदी की गारंटी के साथ मैदान में उतरेगी वहीं मनोहर लाल द्वारा कराए गए विकास कार्यों के दम पर भी वोटरों को लुभाने का प्रयास करेगी। कांग्रेस पार्टी सत्ता विरोधी लहर, किसानों में बीजेपी के प्रति आक्रोश सहित जातीय समीकरणों के सहारे करनाल सीट पर जीत की रणनीति बना रही हैं।

हाट सीट बनी करनाल

करनाल सीट के अगर जातीय समीकरणों की बात की जाए तो जाट वोट करीब 2 लाख 70 हजार, अनुसूचित जाति के करीब 3 लाख वोट, पंजाबी 1 लाख 80 हजार, रोड करीब 1 लाख 60 हजार, ब्राहमण करीब 1 लाख 30 हजार, राजपूत करीब एक लाख हजार, जट सिख करीब 80 हजार, मजहबी सिख 35 हजार वोट शामिल है। 2 बार की सत्ता विरोधी लहर, किसानों के आक्रोश के करनाल लोकसभा सीट को हॉट सीट बना दिया है।

तो रोचक होगा मुकाबला

जहां शहरों में बीजेपी को समर्थन मिलता दिखता हैं, वहीं ग्रामीण परिवेश में ज्यादातर मतदाता खामोश बने हुए हुए है। जो मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। इस बात को बीजेपी नेतृत्व भी महसूस कर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलकर नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया है ताकि सत्ता विरोधी लहर को खत्म किया जा सकें। जातीय समीकरणों को दुरुस्त कर संतुलन साधने के प्रयास किए गए। हालांकि प्रदेश में किया गया नया प्रयोग कितना सफल रहता है, इसका पता लोकसभा के परिणाम आने पर लग पाएगा।;

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