Haryana : मांगों को लेकर हड़ताल पर गए सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को पूर्व निर्धारित घोषणा अनुसार सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन, ओपीडी व इमरजेंसी सेवाओं को भी बंद कर दिया। एकाएक स्वास्थ्य सेवा बंद होने के कारण मरीज इधर उधर भटकते नजर आए। विवश होकर मरीजों को निजी अस्पतालों की तरफ रूख करना पड़ा। वहीं, हरियाणा सरकार डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवाने के लिए बातचीत करने का प्रयास कर रही है, लेकिन डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े हुए है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी सरकार व डॉक्टरों के बीच कड़ी बनने का प्रयास करने में जुटे हुए है। डीजी हेल्थ एचसीएमएस के पदाधिकारियों की स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज व स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव से मीटिंग करवाने का प्रयास कर रहे हैं।
27 दिसंबर को हड़ताल पर गए थे डॉक्टर
हरियाणा मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के सदस्य 27 दिसंबर को हड़ताल पर गए थे। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो 29 दिसंबर को पूरे प्रदेश में हड़ताल कर इमरजेंसी, ओपीडी व ऑपरेशन बंद कर दिए जाएंगे। इसी कड़ी में एचसीएमएस के सदस्यों ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी व आपरेशन के साथ इमरजेंसी सेवाओं को भी बंद कर दिया है। जिससे मरीजों में अफरा तफरी मची हुई है।
क्या हैं एचसीएमएस की मांग
हरियाणा मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के सदस्यों की मांग है कि प्रदेश सरकार उनके लिए एक विशेष कैडर का गठन करे। सीएमओ की सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए। पोस्ट ग्रेज्यूएशन के लिए बांड राशि को एक करोड़ से घटाकर 50 लाख किया जाए। साथ ही प्रदेशभर में डॉक्टरों के पड़े रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज हड़ताल को करार दे चुके नाजायज
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज डॉक्टरों की हड़ताल को 27 दिसंबर को ही नाजायज करार दे चुके है। उन्होंने तो हड़ताल को विफल तक होने की बात कही थी। ऐसा ही कुछ डीजी हेल्थ डॉ. आरएस पूनिया भी 27 दिसंबर को बयान दे चुके है। जबकि एचसीएमएस दावा कर रही है कि 27 दिसंबर को प्रदेशभर के 931 डॉक्टर हड़ताल में शामिल थे। फिलहाल स्वास्थ्य सेवाएं बहाल होती नजर नहीं आ रही, क्योंकि न सरकार झूकने का तैयार है और न ही डॉक्टर अपनी मांगों से पीछे हटने के लिए। अब देखना यह है कि हड़ताल कब तक जारी रहेगी और सरकार इसका क्या हल निकालती है।&