Haryana RERA: हरियाणा में ग्राम नियोजन विभाग की तरफ से रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण यानी RERA से जुड़े सदस्यों या अध्यक्ष के खिलाफ जांच करने के लिए नियम तय कर दिए गए हैं। नियम के तहत अगर रेरा के किसी अध्यक्ष या सदस्य के खिलाफ शिकायत मिलती है, तो ऐसी स्थिति में शुरुआती जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) की पोस्ट से नीचे के अधिकारी नहीं करेंगे। शुरुआती जांच करने का अधिकार केवल सरकार के पास होगा।
रेरा अध्यक्षों या सदस्यों के खिलाफ किस तरह होगी जांच
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह ने इसे लेकर अधिसूचना जारी की गई है। कहा गया है कि अगर किसी अध्यक्ष या सदस्य के खिलाफ शिकायत मिलती है, तो इसकी शुरुआती जांच सरकार करेगी। जांच में अध्यक्ष या सदस्य के बयान दर्ज करने के बाद लगता है कि आगे की जांच होनी चाहिए तो मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद न्यायाधीश नियुक्त किए जाएंगे, जिसकी शक्तियां सिविल न्यायाधीश के समक्ष होगी। अर्थात न्यायाधीश के पास लोगों को बुलाने, दस्तावेज प्रस्तुत करने जैसे अधिकार होंगे। न्यायाधीश की रिपोर्ट के आधार पर सरकार की तरफ से आदेश जारी किया जाएगा। आदेश में फैसला लिया जाएगा कि प्राधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य को हटाया जाएगा या नहीं।
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रेरा की स्थापना क्यों की गई ?
साल 2017 में रेरा के किसी सदस्य या अध्यक्ष के खिलाफ जब कोई शिकायत मिलती थी, इन्हें हल करने के लिए कोई नियम तय नहीं किए गए थे। अभी हरियाणा में वर्तमान में RERA के दो बेंच हैं। एक पंचकूला में और दूसरी गुरुग्राम में है। इसके अलावा रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण भी है। रेरा की स्थापना प्लॉट, अपार्टमेंट या इमारतों सटीक बिक्री सुनिश्चित करने, उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने, सदस्यों के खिलाफ आ रही समस्याओं का समाधान करने के लिए की गई थी।
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