Haryana Postal Department: हरियाणा में डाक विभाग ने जुलाना के जफरगढ़ किले को मुहर में अंकित किया। दशकों से गायब रही पीपीसी मुहर राज्य में पहली बार जारी की गई। हरियाणा के जफरगढ़ पोस्ट ऑफिस में आज शुक्रवार 26 जुलाई से इसे जारी किया गया। बता दें कि ऐसी डाक मुहर को परमानेंट पिक्टोरियल कैंसलेशन (PPC) नाम दिया जाता है। इसमें स्थान विशेष का नाम, पिन कोड और तारीख के अलावा एक चित्र भी अंकित होता है। यह चित्र किसी भी जगह की खास पहचान या महत्व से संबंधित होता है।
जफरगढ़ के डाकखाने ने रचा इतिहास
राज्य में आज तक ऐसी एक भी चित्रयुक्त डाक मुहर नहीं बनी, जिसमें प्रदेश के पर्यटन या राजकीय महत्व और विशेषता का उल्लेख हो, लेकिन जींद की तहसील जुलाना के जफरगढ़ किला के डाकखाने की मुहर पर उस गांव की पहचान 'जफरगढ़ का किला' अंकित किया गया है। आज जफरगढ़ के डाकखाने ने अपना एक इतिहास रच दिया है।
कैसे मिली इस मुहर को अनुमति
राज्य का पहला पीपीसी जारी करवाने वाले सिद्धार्थ सहराय कहते हैं कि इस डाक मुहर ने अपना सफर लगभग 1 साल में तय किया है। इसका डिजाइन तैयार करने के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए इसे हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक (IAS) अमित खत्री के पास भेजा गया था। यहां से डिजाइन को सहमति मिलने के बाद जुलाना में पंचायत की बैठक से जनसमर्थन लिया गया।
इसके बाद ग्राम पंचायत किला जफरगढ़ और विधायक जुलाना का अनुशंसा पत्र व जनसमर्थन की कॉपी सहित प्रारूप मीरा शेरिंग, वर्तमान चीफ पोस्ट मास्टर जनरल अंबाला को भेजा गया। वहां से जवाब न आने पर डाक भवन, नई दिल्ली में वर्तमान संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को फरवरी 2024 में चिट्ठी लिखी गई। हरियाणा के सभी जिले में फिलेटली का डाटा बताते हुए संचार मंत्री को अवगत कराया। साथ ही पीपीसी की जरूरत पर जोर देते हुए इसे जारी करने का निवेदन किया गया।
आचार संहिता के कारण रुका था काम
मार्च 2024 में असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल सुबोध शर्मा ने अंबाला स्थित हरियाणा सर्किल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल से प्रगति रिपोर्ट मांगी। इसके बाद संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चिट्ठी लिखी, तब असिस्टेंट डायरेक्टर फिलेटली मनीष कुमार श्रीवास्तव की ओर से बताया गया कि आचार संहिता लागू होने के कारण यह काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अब जाकर जुलाई में सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पोस्ट करनाल डिवीजन की ओर से किलाजफरगढ़ में हरियाणा की पीपीसी को किलाजफरगढ़ ब्रांच पोस्ट ऑफिस में जारी करने का फैसला लिया गया।
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जानें इस किले का इतिहास
यह ऐतिहासिक किला जींद-रोहतक नेशनल हाईवे के पास स्थित है। माना जाता है कि जींद रियासत की सुरक्षा के लिए किले का निर्माण साल 1858 के आसपास जींद के राजा सरूप ने करवाया था। कहा जाता है कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों द्वारा जमीन से संबंधित नए कानून बनाए गए, जिनमें कई बदलाव किए गए थे।
जमीन पर भारी टैक्स लगा दिया गया था। उस समय लिजवाना कलां गांव के लोगों ने इसका विरोध करते हुए माल दरखास भरने से इंकार कर दिया था। लोगों के विरोध को दबाने के लिए जींद रियासत के राजा सरूप ने जींद-रोहतक मार्ग पर जफरगढ़ नामक किले की स्थापना की। बाद में इस किले के नाम से ही गांव का नाम किलाजफरगढ़ रखा गया।