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हरियाणा में 18वें लोकसभा चुनाव सियासी दलों औऱ उनके नेताओं को कई तरह का सबक देकर गया। प्रदेश में इनेलो औऱ जननायक जनता पार्टी जैसे दलों के नेताओं को भी इस चुनाव में काफी निराशा हाथ लगी।

Haryana: 18वें लोकसभा चुनाव सियासी दलों औऱ उनके नेताओं को कई तरह का सबक देकर गया। प्रदेश में इनेलो औऱ जननायक जनता पार्टी जैसे दलों के नेताओं को भी इस चुनाव में काफी निराशा हाथ लगी। चौधरी देवीलाल परिवार की विरासत संभालने वाले इनेलो और जजपा द्वारा उतारे गए प्रत्याशी जहां बुरी तरह से हारे, वहीं जमानत भी नहीं बचा सके। यहां तक कि इनेलो के सामने सिंबल को बचाए रखना चुनौती बन गया।

3 पुराने लालों के नाम से जानी जाती है सूबे की धरती

सूबे की धरती पर प्रदेश के तीन पुराने लालों को जाना जाता है। अब भाजपा के चौथे लाल मनोहरलाल भी एक दशक तक मुख्यमंत्री रह चुके है और करनाल में भारी मतों से जीत हासिल की है। खास बात यह है कि चौथे लाल मनोहर लाल ही इस बार जीत दर्ज कर पाए हैं। जबकि बाकी सियासी घराने पूर्व स्वर्गीय उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के परिवार की बुरी हार हुई है। परिवार से एक ही लोकसभा हिसार से तीन लोग आमने-सामने थे लेकिन किसी को भी जीत नसीब नहीं हो सकी।

जमानत बचाना हुआ नेताओं को मुश्किल

हिसार सीट से स्वर्गीय देवीलाल के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री रणजीत चौटाला ने भाजपा की टिकट पर भाग्य तो आजमाया। लेकिन लोगों ने आशीर्वाद नहीं दिया और उनको कांग्रेस के जेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ गया। अहम बात यह है कि परिवार से निकली दो पार्टियों का बुरी तरह से सफाया हो चुका है। इनेलो और जजपा के उम्मीदवारों की जमानत बचना तो दूर उल्टे हिसार में देवरानी-जेठानी सुनैना और विधायक व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की माता नैना चौटाला को करारी हार का सामना करना पड़ा। अन्य लालों के परिवार में से इस बार कोई भी चुनावी मैदान में नहीं था।

चुनाव निशान चश्मे पर संकट

लोकसभा चुनाव में वोट शेयर कम होने से इनेलो चुनाव निशान चश्मे पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इनेलो को इस चुनाव में 6 फीसदी तक वोट शेयर मिलने की आशा थी और यह महज दो फीसदी से कम रह गई। चुनाव आयोग के नियमों में राज्य स्तरीय दलों को कम से कम 6 फीसदी वोट शेयर मिलना अनिवार्य होता है। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

सत्ता में रही जजपा को तगड़ा झटका लगा, नहीं दिया वोटरों ने कोई भाव

लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस यानी इंडिया गठबंधन के बीच सीधी टक्कर थी। वैसे भी इस बार प्रदेश के लोगों ने छोटे दलों को सिरे से नकार दिया। जनता की नाराजगी का शिकार साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ सत्ता में रही जजपा के उम्मीदवारों की बुरी हार हुई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां एवं विधायक नैना चौटाला को हिसार लोकसभा से हार मिली है। वैसे, शुरुआती दौर से ही पुराने सियासी जानकार उनके मुकाबले में नहीं होने के दावे कर रहे थे। वहीं, प्रदेश की सभी सीटों पर जजपा के उम्मीदवारों को कुल 1,12,499 वोट ही हासिल हुए।

भाजपा का 12 फीसदी वोट शेयर गिरा और कांग्रेस का 16 फीसदी हिम्मत दे गया

लोकसभा चुनाव में भाजपा को कई तरह से नुकसान झेलना पड़ा। 2019 के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर करीब 12 फीसदी कम और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा में करीब 58 फीसदी वोट मिला था। जबकि कांग्रेस का 28.42 फीसदी था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने बाजी मारी और वोट शेयर में 16 फीसदी का इजाफा कर लिया। चुनाव में भाजपा को 46.06 फीसदी तो कांग्रेस को 43.73 फीसदी मत मिले। वहीं आम आदमी पार्टी को 3.94, बसपा को 1.27, जजपा को 0.87 और इनेलो को 1.75 फीसदी वोट शेयर मिला है।

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