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हरियाणा के जींद में स्वास्थ्य विभाग ने बिना जरूरत के कर्मचारियों को मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में एक चिकित्सक का भंडा फोड़ किया। चिकित्सक के पास केवल मरीजों की एंट्री मिली, उनको जारी किए गए प्रमाण पत्र तथा रेस्ट देने संबंधी कोई रिकार्ड नहीं मिला।

Jind: स्वास्थ्य विभाग ने बिना जरूरत के कर्मचारियों को मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में एक चिकित्सक का भंडा फोड़ किया। इस मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर कर्मचारी आराम फरमा रहे हैं। चिकित्सक द्वारा बैंक कर्मचारियों व डाकघर के कर्मचारियों को सबसे अधिक मेडिकल प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्लीनिक पर दबिश देकर रिकार्ड की जांच की। चिकित्सक के पास केवल मरीजों की एंट्री मिली, उनको जारी किए गए प्रमाण पत्र तथा रेस्ट देने संबंधी कोई रिकार्ड नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आयुष विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की सिफारिश की।

स्वास्थ्य विभाग को मिल रही थी शिकायत

सफीदों स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत नरेश नामक एक कर्मचारी का बार-बार रेस्ट के लिए मेडिकल आ रहा था। बैंक अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं यह मेडिकल फर्जी तरीके से तो तैयार नहीं किया गया। यह मेडिकल रेस्ट जींद के गोहाना रोड स्थित पाठक क्लीनिक से जारी किया गया था। बैंक ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन कार्यालय जींद को की। सिविल सर्जन कार्यालय ने तीन चिकित्सकों की एक कमेटी बना कर मामले की जांच की। कमेटी ने पाठक क्लीनिक के डॉ. अरविंद पाठक को बुलाया, लेकिन बार-बार बुलाने पर भी वह कमेटी के सामने पेश नहीं हुए। इसके अलावा कमेटी को यह भी आभास हुआ कि यह मेडिकल रेस्ट फर्जी तरीके से जारी किए गए हैं जबकि कर्मचारियों को रेस्ट की जरूरत नहीं थी।

स्वास्थ्य विभाग ने छापा मारा तो हुआ खुलासा

सोमवार को डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पालेराम कटारिया, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. रमेश पांचाल व नोडल अधिकारी डॉ. दीपक की टीम ने दोपहर बाद पाठक क्लीनिक पर दबिश दी। यहां डॉ. अरविंद पाठक से जिन कर्मचारियों को मेडिकल रेस्ट जारी किए गए हैं, उनका रिकॉर्ड मांगा। डॉ. अरविंद पाठक के रजिस्टर में केवल एक कर्मचारी की एंट्री पाई गई जबकि मेडिकल रेस्ट का कोई प्रमाण पत्र या रेस्ट से संबंधित कोई रिकार्ड नहीं मिला। जांच टीम ने पूरा रिकार्ड सिविल सर्जन को सौंप दिया। सीएमओ डॉ. गोपाल गोयल ने बताया कि डॉ. अरविंद पाठक के पास रेस्ट से संबंधित कोई प्रमाण नहीं मिला। जांच टीम के सामने डॉ. अरविंद पाठक कोई प्रमाण पत्र पेश नहीं कर पाए। आयुष विभाग के महानिदेशक को पूरे मामले की जांच रिपोर्ट भेजकर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

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