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हरियाणा के जींद में अब अगर कोई सड़क हादसा होता है या फिर किसी गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अस्पताल से लेकर आना है तो सरकारी एंबुलेंस की बजाय प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा भी लिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग जल्द ही प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से करार करने जा रहा है।

Jind: अब अगर कोई सड़क हादसा होता है या फिर किसी गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अस्पताल से लेकर आना है, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अपनी सरकारी एंबुलेंस का इंतजार नहीं करेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से करार किया जाएगा, जिसमें किराया निर्धारित होगा। ऐसे में कोई कॉल आती है तो तुरंत प्रभाव से संबंधित एंबुलेंस चालक को कॉल कर मरीज या प्रसुता को उपचार के लिए अस्पताल लाने के लिए कहा जाएगा। इस योजना के पीछे स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कि एंबूलेंस समय से न पहुंचने के चलते किसी की भी जान न जाए।

डीजी ने सीएमओ से वीसी कर की योजना पर चर्चा

स्वास्थ्य विभाग के डीजी डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने योजना को लेकर प्रदेशभर के सीएमओ से वीडियो कान्फ्रेंस पर विचार विमर्श किया और इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए उनके सुझाव मांगे। सड़क हादसों में घायलों और अन्य इमरजेंसी के दौरान एंबुलेंस तुरंत प्रभाव से हर किसी के लिए उपलब्ध हो, इसके लिए प्राइवेट एंबूलेंस संचालकों से सहयोग लिया जाए। अस्पताल में बनाए गए कंट्रोल रूम (रेफरल सेवा 102) के पास निजी एंबुलेंस चालकों का नंबर होगा। जिस पर उनको कंट्रोल रूम से कॉल कर हादसे की लोकेशन भेजी जाएगी। लोकेशन मिलते ही नजदीकी एंबुलेंस उनके पास पहुंचेगी।

सरकार द्वारा तय किए गए रेट पर दिया जाएगा किराया

एंबुलेंस संचालक को सरकार द्वारा तय किए गए रेट का किराया दिया जाएगा। योजना में शामिल होने के लिए एंबुलेंस संचालकों को अपनी रजामंदी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। एंबुलेंस में जीपीएस होना अनिवार्य होगा और यह जीपीएस 24 घंटे ऑन रखना होगा।

योजना को सिरे चढ़ाने के लिए मंथन शुरू : सीएमओ 

सीएमओ डॉ. गोपाल गोयल ने बताया कि जींद स्वास्थ्य विभाग के पास जिला में अपनी 31 एंबुलेंस हैं। कई बार हादसा स्थल से सरकारी एंबुलेंस दूर होती है। जिसके लिए इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे में आपातकाल सेवा पहुंचने में समय लग जाता है और इस दौरान मरीज की जान पर भी बन आती है। निजी एंबुलेंस संचालकों से करार कर नजदीकी लोकेशन पर खड़ी एंबुलेंस को मौके पर रवाना किया जाएगा। विभाग का मानना है कि ऐसा होने पर सड़क हादसों व दूसरे आपातकाल में नजदीकी एंबुलेंस को तुरंत भेजना आसान होगा। इससे घायलों को समय पर प्राथमिक इलाज मिलेगा और मृत्यु दर भी कम होगी।

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