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हरियाणा के कैथल में स्कूल बसों की जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। अधिकारियों ने मात्र दो बसों को चेक कर इतिश्री कर दी, जबकि शहर में अनेक बस चल रही है। अधिकांश स्कूलों की बस खटारा हो चुकी है, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

Kaithal: महेंद्रगढ़ के कनीना में स्कूल बस दुर्घटना में हुई छह बच्चों की मौत व दर्जनों बच्चे घायल होने की घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। घटना को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को सख्त आदेश दिए हैं कि जो स्कूल नियम पूरे नहीं करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसी कड़ी में शुक्रवार को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों ने स्कूली बसों में जांच अभियान चलाया। अभियान के तहत अधिकारियों ने महज दो स्कूली बसों की जांच कर अभियान की इतिश्री कर ली। जांच के दौरान बसों में कई खामियां मिली। दो बसें जो चैक की है। इनमें फर्स्ट एड बॉक्स से लेकर इमरजेंसी दरवाजे तक का हैमर नहीं था।

एक्सपायरी डेट की मिली दवाई, काम नहीं कर रहे सीसीटीवी

जांच के दौरान दवाइयों के ऊपर से एक्सपायरी तिथि मिटी हुई पाई। बस के सीसीटीवी काम नहीं कर रहे थे, इमरजेंसी दरवाजे का हैमर नहीं था। इतनी कमियों को देखकर भी अधिकारियों ने स्कूल को नोटिस देने की बात  कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया और कमियों को सुधारने का स्कूल प्रशासन को समय दिया। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कैथल का जिला प्रशासन कैथल में भी महेंद्रगढ़ की तर्ज पर कोई बड़ा हादसा होने के इंतजार में है। महेंद्रगढ़ में हुए बस हादसे की तरह यहां भी हादसा हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? लगभग आठ से 10 बसों को बस के बोनट पर भी बैठाया गया था, जबकि बसों की सिटिंग सिर्फ सीटों पर होनी चाहिए।

बिना अनुमति के सरेआम चल रही ई-रिक्शा में बच्चों को स्कूल जाने की नहीं अनुमति

उधर, ई रिक्शा, ऑटो सहित अन्य वाहनों में भी बच्चों को बिना सुरक्षा व्यवस्था के क्षमता से अधिक संख्या में बैठाकर स्कूल में पहुंचाया जाता है। छुट्टी के बाद फिर उनको वापस घर भी इसी व्यवस्था में पहुंचाया जाता है। इन वाहनों में बच्चों की किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती। क्षमता से अधिक संख्या में बच्चों को बैठाया जाता है। कई वाहन चालक तो बच्चों को वाहन की छतों पर भी बैठा लेते हैं। कई वाहनों में बच्चे पीछे बैठ जाते और उनके पांव वाहन से बाहर होते हैं। ऐसे में हादसे का किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कई वाहन चालक शराब पीकर गाड़ी को चलाते हैं, जिस कारण से हादसे होते हैं। चालक के शराब पीकर बस चलाने से कुछ दिन पहले गांव नरड़ में भी हादसा हुआ है और एक बच्ची की जान चली गई।

बसों की फिटनेस जांचने का चलाया अभियान

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के सहायक शीशपाल ने बताया कि जो स्कूल बसों में फिटनेस को पूरा नहीं करते, उनको नोटिस जारी किया जाएगा। एक माह तक स्कूलों में बसों के अंदर सभी तरह की व्यवस्थाएं और कमियों को पूरा करने का समय दिया गया है। एक बस में सीटिंग क्षमता से ज्यादा संख्या में बच्चे नहीं होने चाहिए। जो कमियां पाई गई, उनको पूरा करने के लिए स्कूल को 15 दिन का समय दिया गया है।

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