Padma Award 2025: केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले लोगों की सूची जारी कर दी है। इसमें हरियाणा के कैथल के तीरंदाज हरविंदर सिंह और सोनीपत के साहित्यकार संतराम देशवाल को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया है। हरियाणा के लोगों के लिए यह गर्व और सम्मान की बात है। बता दें कि केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार 2025 का एलान किया है, जिसमें कई बड़ी हस्तियों को 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
कौन हैं साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल?
24 अप्रैल, 1955 को सोनीपत में जन्मे संतराम देशवाल को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। देशवाल को साहित्य, शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में दिए गए योगदान को देखते हुए इस सम्मान के लिए चुना गया है। संतराम देशवाल जिला झज्जर के खेड़का गुर्जर गांव के रहने वाले हैं और पेशे से एक शिक्षक हैं। बता दें कि उन्होंने अपने जीवन में कई पुस्तकें लिख चुके हैं और उन्हें बहुत से पुरस्कारों व सम्मानों मिल चुके हैं।
साल 2025 में पद्मश्री पुरस्कार पाने वाले वह हरियाणा के इकलौते साहित्यकार हैं। वे सोनीपत के छोटूराम आर्य कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर काम कर चुके हैं और उसके बाद वे अपने साहित्य साधना में लगे रहे। उनकी पत्नी डॉ. राजकला देशवाल भी राजकीय कॉलेज में हिंदी प्रोफेसर रह चुकी हैं। डॉ. संतराम ने ललित निबंध, संस्मरण, जीवनी और कविता सहित कई अलग विधाओं में 30 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं।
मिल चुके हैं कई बड़े सम्मान
डॉ. संतराम देशवाल को पिछले साल हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार के रूप में पांच लाख रुपये की राशि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा सर्वोत्तम पत्रकारिता सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, लोक शिरोमणि सम्मान, हिंदी सहस्त्राब्दी सम्मान, बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सम्मान, काव्य कलश सम्मान, सोनीपत रत्न सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन्होंने अब तक कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है।
कौन हैं खिलाड़ी हरविंदर सिंह?
पेरिस पैरालंपिक में तीरंदाजी में गोल्ड मेडल जीतने वाले कैथल के हरविंदर सिंह को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया है। उनके पिता परमजीत खेती का काम करते हैं। 25 फरवरी 1991 को कैथल में जन्मे हरविंदर के लिए यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल था, क्योंकि जब डेढ़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाए गए थे। डॉक्टर ने उन्हें गलत इंजेक्शन लगा दिया था, जिसकी वजह से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई। उन्होंने बताया कि 2012 में टीवी पर लंदन ओलंपिक में तीरंदाजी की मैच देख और वहां से उन्हें तीरंदाजी करने की प्रेरणा मिली।
साल 2017 में वह पैरा तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में डेब्यू में सातवें स्थान पर रहे। लेकिन उसके बाद साल 2018 में उन्होंने जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। कोविड-19 के दौरान उनके पिता ने खेत में ही हरविंदर के तीरंदाजी अभ्यास के लिए रेंज बना दी थी। हरविंदर ने तीरंदाजी के साथ अर्थशास्त्र में पीएचडी भी किया हुआ है।
ये हैं हरविंदर सिंह की उपलब्धियां
हरविंदर सिंह ने हरियाणा के रोहतक में साल 2016 में हुई पहली पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता और फिर साल 2017 में तेलंगाना में दूसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया। साल 2018 में हरविंदर ने इंडोनेशिया में हुई एशियन पैरा गेम्स में इंडिया के लिए रिकर्व इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। बता दें कि वह अब तक कुल 6 बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंडिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
साल 2019 में एशियन पैरा चैंपियनशिप ब्रॉन्ज मेडल और थाईलैंड में साल 2019 में तीसरी एशियन पैरा तीरंदाजी के टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। इसके अलावा साल 2020 पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। साल 2017 में बीजिंग में हुई विश्व पैरा आर्चरी में सातवां स्थान हासिल किया था। साल 2019 में रोहतक में तीसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता सिल्वर मेडल जीता था। साल 2024 में हरविंदर ने पेरिस पैरालंपिक में पोलैंड के लुकाज सिजेक को हराकर गोल्ड हासिल किया था।