IAS Niaz Khan on racism: मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस नियाज खान ने नस्लभेद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट लिखकर उन्होंने यूरोपियन कंट्री में अश्वेत लेखकों से भेदभाव का आरोप लगाया है। कहा, उनके साहित्य की कदर नहीं की जाती। आईएएस नियाज खान ने लिखा-अश्वेत होना अंग्रेजी साहित्य में बहुत बड़ी बाधा है।
आईएएस अफसर नियाज खान अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। मंगलवार को एक्स पर संदेश पोस्ट कर उन्होंने नस्लभेद पर सवाल उठाए। लिखा-मैंने गोरे देशों में कई बुक भेजी, लेकिन अश्वेत होने के कारण मेरे साहित्य की वहां कदर नहीं हो रही।
4 अंतरराष्ट्रीय नॉवेल लिख चुके
आईएएस नियाज खान ने बताया कि मैंने 4 अंतरराष्ट्रीय नॉवेल लिखे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल नहीं कर पाया। गोरों यूरोपीय देशों में सिर्फ उन्ही गिने-चुने अश्वेत लेखकों ने सफलता हासिल की है, जो वहां जाकर बस गए।
14 साल की कड़ी मेहनत बेकार
आईएएस नियाज खान ने लिखा अंग्रेजी साहित्य में अश्वेत होना बहुत बड़ी बाधा है। हम कितना भी अच्छा लिखें, लेकिन अश्वेत होने के कारण हमारी किताबें गोरे लोग नहीं पढ़ते। मेरी 14 साल की कड़ी मेहनत बेकार हो गई।
पाकिस्तानी प्रोफेसर की तारीफ
आईएएस नियाज खान ने पाकिस्तानी प्रोफेसर परवेज हुदभाय की सराहना की है। बताया कि हाल ही में उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली और ब्राह्मणों के प्राचीन ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि भारतीय ब्राह्मण गणित और तर्कशक्ति के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।
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अंधविश्वास से बचाएं ब्राह्मण
आईएएस नियाज खान ने आगे लिखा कि ब्राह्मण का सत्य हमेशा रहेगा। ब्राह्मणों की सबसे बड़ी ताकत उनकी तेज बुद्धि और तर्क शक्ति रही है। यही कारण है मुस्लिम साम्राज्य में भी उन्होंने ऊंचे पद हासिल किए हैं। नियाज खान ने ब्राह्मण समाज से अपील की है कि समाज को वह अंधविश्वास से बचाए, संस्कृति की रक्षा करे और मार्गदर्शक की भूमिका निभाए। हीन भावना से कभी ग्रसित न हों।