मनोज भल्ला, रोहतक: किसी भी सरकार के लिए साढ़े चार साल की एंटी इनकंबेंसी को केवल छह महीने में खत्म करना किसी करिश्मे से कम नहीं होता, लेकिन इस करिश्मे को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बखूबी कर दिखाया। बेहद कम समय में इतना बड़ा करिश्मा कर नायब सैनी ने हरियाणा और दिल्ली की राजनीति में अपना राजनीतिक कद बढ़ा लिया है। 6 महीने के नए नवेले मुख्यमंत्री ने न केवल कमजोर भाजपा को हैट्रिक तक पहुंचा दिया बल्कि 10 साल बाद सत्ता में आने का सपना देख रही कांग्रेस के सपने को भी चकनाचूर कर दिया। पार्टी हाईकमान की नजर में नायब सैनी पहले पायदान पर पहुंच गए हैं क्योंकि चुनाव से पहले चेहरा बदलने के फार्मूले पर वे एकदम खरा उतरे हैं।
हैट्रिक बनाने का रिकॉर्ड किया कायम
नायब सैनी के नेतृत्व में भाजपा ने हैट्रिक बनाने का रिकॉर्ड भी कायम किया है। हरियाणा का इतिहास रहा है कि यहां किसी भी राजनीतिक दल की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी नहीं हुई। एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे नायब सैनी ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया है कि लगातार 10 वर्ष तक चलने वाली सरकार से लोग ऊब जाते हैं। कांग्रेस भी दावा कर रही थी कि हरियाणा के लोग 10 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और बदलाव के मूड में है। नायब सैनी ने कांग्रेस के बदलाव की हवा निकाल दी और स्पष्ट बहुमत लेकर सिद्ध कर दिया कि दो बार सरकार बनाने के बाद भी तीसरी पारी खेली जा सकती है।
मनोहर लाल के कारण बनी थी एंटी इनकंबेंसी
हरियाणा में 2019 के बाद से ही भाजपा कमजोर पड़ने लगी थी। 2022 के बाद मनोहर लाल खट्टर के कारण एंटी इनकंबेंसी बनने लगी थी जो लोकसभा चुनाव तक आते-आते पूरी पार्टी पर भारी पड़ रही थी। किसान आंदोलन सहित कई ऐसे मुद्दे थे जिसे लेकर मनोहर लाल सरकार पूरी तरह बैकफुट पर आ गई थी। लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर एंटी इनकंबेंसी के चेहरे के रूप में कांग्रेस को लगातार मजबूती प्रदान कर रहे थे। इस चेहरे को बदलना जरूरी था इसलिए भाजपा आलाकमान ने मनोहर लाल को हटाकर नायब सैनी के चेहरे को प्रोजेक्ट किया। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे थे कि केवल 6 महीने पहले चेहरा बदलने से भाजपा को विधानसभा चुनाव में लाभ मिलने की बहुत कम उम्मीद है।
नायब सैनी ने सुधारी सरकार की छवि
नए चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मनोहर लाल की एंटी इनकंबेंसी को धीरे-धीरे खत्म करने का प्रयास किया। उन्होंने मनोहर सरकार के कई पुराने फैसलों को पलटकर अपनी सरकार की छवि को सुधारने की सफल कोशिश की। इस बीच हाई कमान ने भरोसा जताते हुए उन्हें अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। हरियाणा में चुनाव आचार संहिता लगने से पहले सैनी सरकार ने हर वर्ग को आकर्षित करने के लिए योजनाओं की झड़ी लगा दी। कांग्रेस की हवा के बावजूद नायब सैनी ने बिना खर्ची पर्ची के नौकरी, आरक्षण और दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस की जबरदस्त घेराबंदी की। जो कांग्रेस अभियान चलाकर भाजपा सरकार से 10 साल के कार्यों का हिसाब मांग रही थी, नायब सैनी ने उन्हें अपने 56 दिनों के कार्य का हवाला देकर हिसाब किताब में उलझाए रखा।