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Nuh Farmers Protest: नूंह के आईएमटी रोजका मेव में धरने पर बैठे किसानों ने एक बार फिर मंगलवार को एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों को निर्माण कार्य शुरू करने से रोक दिया है। उनका कहना कि जब तक उन्हें मुआवजे की उचित राशि नहीं मिलेगी, जब तक वह किसी भी कीमत पर निर्माण कार्य शुरू नहीं होने देंगे।

Nuh Farmers Protest: साल 2024 के आखिरी दिन आईएमटी रोजका मेव रोजगार में एचएसआईआईडीसी के अधिकारी निर्माण का काम शुरू करने के लिए पहुंचे थे। इसके लिए वह अपने साथ जेसीबी मशीन भी लेकर आए थे। लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी किसानों को मिली, तो सैकड़ों की संख्या में किसान वहां पर पहुंच गए और एचएसआईआईडीसी की निर्माण कार्य रोक दिया। बता दें कि पिछले कई महीनों से भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में नूंह के 9 गांवों के किसान मुआवजे को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं।

अधिकारी मशीन लेकर वापस लौटे

किसानों के द्वारा काम रुकवाने की सूचना एचएसआईआईडीसी के कर्मचारियों ने पुलिस विभाग को दी, जिसकी सूचना पाकर रोजका मेव एसएचओ दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन उसके बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। आखिरकार किसानों के विरोध की वजह से एचएसआईआईडीसी को अधिकारियों को जेसीबी मशीनों के साथ लौटना पड़ा।

किसानों ने फिर से रुकवाया काम

दरअसल, रोजका मेव आईएमटी में 9 गांव की करीब 1600 एकड़ की भूमि में बन रहे आईएमटी की जमीन का उचित मुआवजा की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से किसान धरने पर बैठे हुए हैं। कुछ दिनों पहले कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने कार्य स्थल से किसानों को जबरदस्ती हटाकर निर्माण कार्य शुरू करने का निर्देश दिया था।

इसके बाद एचएसआईआईडीसी के अधिकारी काम शुरू करने के लिए जेसीबी मशीन लेकर पहुंचे, लेकिन किसानों ने पहले ही ऐलान करके साफ कर दिया था कि किसी भी कीमत पर वे निर्माण कार्य नहीं होने देंगे। इसके बावजूद भी जब मंगलवार को अधिकारी काम शुरू करने के लिए पहुंचे, तो किसानों ने उसे रुकवा दिया। वहीं इस मामले पर एचएसआईडीसी के अधिकारी व कर्मचारी कुछ भी बयान देने से साफ तौर पर इनकार कर रहे हैं।

क्या है किसानों की मांग

जानकारी के मुताबिक, रोजकामेव आईएमटी में 9 गांवों की करीब 1600 एकड़ जमीन पर आईएमटी विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए साल 2010 में प्रति एकड़ 25 लाख रुपए के हिसाब से मुआवजा राशि देकर अधिग्रहण किया गया था। इन 9 गांवों में खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन शामिल हैं।

किसानों की मांग पर सरकार ने इस राथि को बढ़ाकर 46 लाख रुपए प्रति एकड़ कर दिया गया। लेकिन इसके बाद भी किसानों को आरोप है कि उनकी जमीनों को सस्ते दामों पर लिया गया है और साथ ही उनसे हलफनामा लेकर उनका कानूनी अधिकार भी छीन लिया गया है। इसके लिए किसान लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। किसानों का कहना कि प्रदेश के किसी भी जिले में ऐसा नहीं हुआ है।

बता दें कि इस मामले को लेकर किसान प्रतिनिधिमंडल कई बार ज्ञापन भी सौंप चुके हैं और सभी राजनीतिक दलों के सामने किसानों की जमीन के मुआवजे को बढ़ाने के लिए मदद भी मांग चुके हैं।

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