Punjab Haryana High Court: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के पांच जजों की पीठ ने पैरोल से संबंधित अहम फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर जेल में किसी कैदी के पास मोबाइल फोन मिलता है। तो ऐसी सूरत में उस कैदी की पैरोल याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा है कि जब तक दोष सिद्ध न हो तो उस आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाता है। इसलिए, मोबाइल फोन के कब्जे आधार पर पैरोल से मना करना अनुचित है।
जजों की इस पीठ में जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर, जस्टिस दीपक सिब्बल, जस्टिस अनुपिंद्र सिंह ग्रेवाल, और जस्टिस मीनाक्षी आई और मेहता भी शामिल रहे। इस मामले का सबसे जरूरी सवाल यह था कि क्या जेल में मोबाइल फोन मिलने के आधार पर बिना किसी ठोस सबूत के आधार बंदी को पैरोल देने से इनकार किया जा सकता है ? इस सवाल पर कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करना अनुचित है। अगर ऐसा किया जाता है तो यह निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होगा।
एसटीडी कॉलिंग की मिलेगी सुविधा
पीठ ने यह भी फैसला लिया है कि जेलों में बंदियों को अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क करने के लिए एसटीडी कॉलिंग की भी सुविधा प्रदान की जाएगी। बंदियों को एसटीडी कॉलिंग की सुविधा के लिए शुल्क का भी भुगतान करना होगा। कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि जेलों में इस सुविधा को जल्द लागू किया जाए। ताकि बंदियों को मोबाइल रखने की जरुरत न पड़े।
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अदालत ने संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को कहा है कि वह पैरोल याचिकाओं पर फैसला लेते समय स्थानीय पंचायतों द्वारा दी गई रिेपोर्ट पर भी निष्पक्ष रूप से विचार जरूर कर लें। अदालत का कहना है कि ठोस सबूत मिलने पर जहां बंदी की रिहाई से शांति सुरक्षा को खतरा हो तब पैरोल से इनकार किया जाए जाएगा।