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हरियाणा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए आने वाले विधानसभा चुनावों में बेटी आरती को विधानसभा पहुंचाना बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। आरती के लिए राव इंद्रजीत सुरक्षित हलके की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि अधिकांश हलकों में विरोधी खेमा एक्टिव नजर आ रहा है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: सक्रिय राजनीति के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए आने वाले विधानसभा चुनावों में बेटी को हर हाल में विधानसभा तक पहुंचाना बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लगभग हर हलके में उनके राजनीतिक विरोधियों की मौजूदगी के चलते अभी तक आरती के विधानसभा क्षेत्र को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। इसके लिए राव हर हलके में खास समर्थकों की राय जान रहे हैं, ताकि आरती को विधानसभा में एंट्री कराने का रास्ता आसान हो जाए।

पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए आरती एक्टिव

आरती राव पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए एक दशक से अहीरवाल की राजनीति में पूरी तरह एक्टिव होकर कार्य कर रही हैं। गत विधानसभा चुनावों में भाजपा की परिवारवाद विरोधी नीति के चलते आरती को टिकट नहीं मिली थी। अगर पार्टी इस बार भी अपनी नीति पर अटल रहती है, तो आरती को चुनाव लड़ने के लिए विकल्प की तलाश करनी होगी। यह तो लोकसभा चुनावों के बाद ही तय हो चुका है कि इस बार आरती राव हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं, परंतु दल और हलके को लेकर सस्पेंस बरकरार है। आरती ने अहीरवाल के सभी हलकों में राव समर्थकों की मदद से लोकसभा चुनावों से पहले ही ताकत दिखाने में सफलता हासिल की थी। वह जिस हलके में जाती हैं, उसे ही अपना बताती रही हैं। चुनाव लड़ने को लेकर किसी एक हलके पर उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैं। उनके सामने कोसली, रेवाड़ी, अटेली, नारनौल और बादशाहपुर दमदार विकल्प हैं।

रेवाड़ी का रास्ता बन चुका मुश्किल

गत विधानसभा चुनावों में राव ने आरती को रेवाड़ी हलके से भाजपा की टिकट दिलाने का प्रयास किया था। आरती को टिकट से इनकार के बाद राव ने सुनील मुसेपुर को टिकट दिलाई, तो भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने नाराज होकर सुनील को चारों खाने चित्त कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस हलके में राव के वही पुराने विरोधी बरकरार हैं, जो आरती को हराने के लिए एकजुट होकर मैदान में आ सकते हैं। इनमें कापड़ीवास को सबसे बड़ा व अरविंद यादव को दूसरा खतरा माना जा सकता है।

कोसली हलके में परंपरागत जनाधार

राव ने सत्तर के दशक में राजनीतिक जीवन की शुरूआत जाटूसाना हलके से की थी। अब जाटूसाना की जगह कोसली हलका ले चुका है। इस हलके में राव का बड़ा परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। आरती को इस हलके से चुनाव लड़ाने की स्थिति में सीटिंग एमएलए का नाराज होना तय है। दूसरी ओर राव को जाटूसाना से एक बार मात दे चुके पुराने विरोधी जगदीश यादव आरती को हराने के लिए पूरा जोर लगा सकते हैं। फिलहाल राव सभी पहलुओं पर विचार करने में मशगूल नजर आ रहे हैं।

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