कैथल। हरियाणा में प्रदेश सरकार द्वारा दिसम्बर 2023 में एचसीएस की भर्ती निकालकर परीक्षा ली गई थी। इसमें 121 सीटों में से 12 पद हरियाणा के दिव्यांगों के लिए आरक्षित थे। इनमें से चयनित दो उम्मीदवारों पर सवाल खड़े हुए। उक्त परीक्षा में गुहला चीका के अश्विनी गुप्ता ने भी परीक्षा पास की थी। उन्हें एसडीएम पद पर नियुक्ति मिली। वहीं, दूसरी ओर इसी कोटे में हिसार की रीतू की बतौर बीडीपीओ नियुक्ति हुई थी, परंतु किसी कोर्ट केस के चलते नियुक्ति नहीं हो सकी। रीतू ने सरकार को एक शिकायत भेजकर अश्विनी गुप्ता के दिव्यांगता सर्टिफिकेट को जाली होने का आरोप लगाया। इसके चलते गुप्ता की ज्वाइनिंग रुक गई। रीतू ने न्यायालय में भी याचिका दायर कर दी। फिलहाल न तो गुप्ता की और न ही रीतू की ज्वाइनिंग हो पाई है। अब अश्विनी गुप्ता के एक निकट संबंधी अतुल कुमार ने 50 पेज की शिकायत हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को भेजकर रीतू पर पलटवार किया है। आरोप लगाया है कि रीतू ने आंखों की कमजोरी का फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाया है। फर्जीवाड़े में हरियाणा के कई अधिकारी जुड़े हैं। रीतू ने इस मामले में कुछ भी कहने से इन्कार किया है। अतुल कुमार ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि रीतू की साजिश थी कि अश्विनी पर आरोप लगाकर उनकी नियुक्ति रद्द करवा दी जाए। इसके बाद वरिष्ठता के आधार पर उनका एसडीएम पर नंबर पड़ जाए।

क्या हैं फजीर्वाड़े के आरोप 

अतुल ने हरियाणा सरकार को भेजी शिकायत में दस्तावेजों के साथ जो आरोप लगाए हैं, उनमें सबसे पहला व बड़ा यह आरोप है कि रीतू द्वारा भर्ती की अन्तिम तिथि से मात्र 2 दिन पहले हरियाणा के दिव्यांग कोटे की सीट हथियाने के लिए जम्मू कश्मीर से एक फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन किया। हैरानी की बात है कि उसे इसी सर्टिफिकेट के आधार पर परीक्षा में बैठने दिया गया। हरियाणा सरकार द्वारा जारी किए गए विज्ञापन एवं नियम के अनुसार दिव्यांगता प्रमाण पत्र केवल हरियाणा से ही बना होना अनिवार्य है। इस गड़बड़ी का पता लगने पर 30 मई 2024 को रीतू की उम्मीदवारी रद्द करने का एक नोटिस निकाल दिया गया। इस पर रीतू ने हरियाणा से दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के प्रयास शुरू कर दिए।

पहले जम्मू फिर हांसी से बनवाया दिव्यांगता सर्टिफिकेट

अतुल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि रीतू ने हांसी के उपमण्डलीय अस्पताल में मिलीभगत कर फर्जी तरीके से दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाया। आरोप है कि अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा बिना किसी जांच के 40 प्रतिशत के विकलांगता प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए गए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में किसी तरह के नेत्र रोग का जिक्र नहीं किया है व सारे कॉलम खाली हैं। अतुल का दावा है कि भारत सरकार के 2016 कानून के अनुसार दिव्यांगता की विस्तृत जानकारी अनिवार्य है। सर्टिफिकेट पर तीन सदस्यीय बोर्ड मेम्बरों के अनिवार्य हस्ताक्षर भी होने चाहिए, परंतु रीतू के प्रमाण पत्र के मामले में केवल हांसी के एक डॉक्टर के हस्ताक्षर हैं। हिसार के सिविल सर्जन ने भी इसे यूंही पास कर दिया। इस पर लाइव फोटो भी नहीं है।

पीजीआई में भी फर्जीवाड़े के लगाए आरोप

हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव द्वारा सभी चयनित उम्मीदवारों को मेडिकल जांच हेतु रोहतक पीजीआई भेजने का निर्णय लिया गया। आरोप है कि यहां भी मिलीभगत कर रीतू की दृष्टि दोनों आखों में केवल एक मीटर तक देखने की दर्शा दी गई, जबकि पिछले 30 वर्ष की आयु तक इतनी कम दृष्टि होने का कहीं भी कोई विवरण नहीं है। शिकायतकर्ता अतुल ने अपनी शिकायत में रीतू का ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रस्तुत किया है, जिसमें वह बिना चश्मे के नजर आ रही है व बनाए गए लाइसेंस में कोई दिव्यांगता भी नहीं दर्शाई गई। अतुल ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

क्या कहना है रीतू का

रीतु ने बताया कि शिकायत दोनों तरफ से की हुई है, जिसकी जांच भी जारी है। उन्होंने कहा कि जांच चलने के कारण वह इसमें कुछ ज्यादा कह पाने की स्थिति में नहीं है। जांच का जो भी परिणाम होगा, सबके सामने आ जाएगा।