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नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ भारतीय कुश्ती संघ ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता की घोषणा की, वहीं भारतीय खेल मंत्रालय की एडहॉक कमेटी ने भी राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता की घोषणा की है। ऐसे में पहलवान असमंजस में है कि किसमें भाग लें।

Bahadurgarh: ओलंपिक वर्ष में एक तरफ जहां दुनियाभर के पहलवान मैट पर पसीना बहा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ भारत में नेशनल चैंपियनशिप को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ जहां भारतीय कुश्ती संघ के प्रधान संजय सिंह द्वारा 29 से 31 जनवरी तक महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय चैंपियनशिप कराने का ऐलान किया। वहीं दूसरी तरफ खेल मंत्रालय द्वारा गठित एडहॉक कमेटी ने 2 से 5 फरवरी तक राजस्थान के जयपुर में नेशनल चैंपियनशिप करवाने की घोषणा कर दी। इससे पूरे देश के पहलवान असमंजस में हैं।

भारतीय कुश्ती संघ व खेल मंत्रालय ने जारी किया प्रतियोगिता का शेड्यूल

नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप को लेकर निलंबित भारतीय कुश्ती संघ की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार 29 जनवरी से पुणे में प्रतियोगिता का आयोजन होगा। जबकि रविवार 7 जनवरी को एक पत्र जारी करते हुए खेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि निलंबित डब्ल्यूएफआई के पास सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने का कोई भी अधिकार नहीं है। निलंबित भारतीय कुश्ती संघ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता को गैर मान्यता प्राप्त माना जाएगा। पत्र के अनुसार इस प्रतियोगिता को जीतने वाले पहलवानों को कोई भी सरकारी लाभ नहीं मिलेगा।

हरियाणा में बनी पहलवानों के समक्ष परेशानी 

हरियाणा एमैच्योर रेसलिंग एसोसिएशन के महासचिव राकेश सिंह ने 13 व 14 जनवरी को हिसार कृषि विश्वविद्यालय में स्थित साईं केंद्र में सीनियर स्टेट ओपन चैंपियनशिप करवाने का सर्कुलर जारी किया है। जबकि प्रधान रोहतास नांदल ने सोनीपत के गांव खेवड़ा की ओलंपियन अमित दहिया खेल अकेडमी में 17 व 18 जनवरी को स्टेट चैंपियनशिप आयोजित की है। एक तरफ प्रधान रोहतास नांदल ने महासचिव राकेश सिंह द्वारा 3 जनवरी को जारी पत्र को असंवैधानिक करार दिया है। उनके अनुसार सोनीपत में चयनित टीम ही जयपुर में 2 से 5 फरवरी तक होने वाली सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेगी। जबकि राकेश सिंह का दावा है कि रोहतास इस आयोजन के लिए सक्षम नहीं है। उनके अनुसार हिसार में चयनित टीम पुणे में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेगी।

हम दोनों जगह भेजेंगे पहलवान

बुपनिया अखाड़ा के कोच जयवीर ने कहा कि कुश्ती भारतीय परंपरा का प्रतीक है। भारतीय पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़़ाया है। खेलों के साथ राजनीति का खामियाजा खिलाड़ियों के साथ पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है। खिलाड़ियों और पहलवानों का विश्वास जमाने के लिए सरकार को बहुत कुछ करना होगा। वर्तमान तारीखों के विवाद से पहलवान असमंजस में हैं। यूडब्ल्यूडब्ल्यू की ऑब्जर्वेशन में डब्ल्यूएफआई के चुनाव हुए हैं। हमारे पहलवान दोनों जगह खेलने की तैयारी कर रहे हैं।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू को लिखा पत्र

एचडब्ल्यूए के महासचिव डॉ. राकेश सिंह ने कहा कि यूडब्ल्यूडब्लयू के प्रधान नेनड लालोविक और महासचिव कारलोस रोय को 8 जनवरी को पत्र लिखा है। जिसमें बताया कि हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश की देखरेख में 21 दिसंबर को हुए चुनाव में संजय कुमार सिंह डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने गए थे। लेकिन तीन दिन बाद ही भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई की गतिविधियों पर रोक लगा दी। इससे उभरते पहलवानों का भविष्य चौपट हो रहा है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग से कुश्ती और पहलवानों के हित में हस्तक्षेप की मांग की ।

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