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हरियाणा के रेवाड़ी में रोडवेज की किलोमीटर स्कीम की बसें आफत बनी हुई है। कभी ब्रेकडाउन हो रहा है तो कभी ब्रेक फेल हो रहे है। अक्सर बस दुर्घटना का शिकार हो रही है। बसों की मेंटिनेंस को लेकर विभाग की तरफ से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे।

रेवाड़ी: रोडवेज के बेड़े में चलाई जा रही किलोमीटर स्कीम की बसें विभाग के साथ यात्रियों के लिए भी आफत बनी हुई हैं। बस स्टैंड से निकलने के कुछ किलोमीटर के बाद ही यह बसें या तो रास्ते में ब्रेक डाउन हो रही हैं या फिर इनके ब्रेक तक नहीं लग पा रहे। कई बार तो इन बसों का रास्ते में डीजल तक खत्म हो रहा है। बीते दिनों दिल्ली और जयपुर रूटों पर 15 से अधिक बसें ब्रेकडाउन हो चुकी हैं। इन बसों के कारण यात्रियों से लेकर रोडवेज विभाग के परिचालकों तक को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ब्रेक नहीं लगने से कंटेनर से टकराई बस

दिल्ली-जयपुर हाइवे पर गांव खरखड़ा के पास रोडवेज की किलोमीटर स्कीम की बस के ब्रेक नहीं लगने से वह सड़क किनारे खड़े कंटेनर से टकरा गई, जिससे बस का अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। रोडवेज की किलोमीटर स्कीम की यह बस गुरुग्राम से रेवाड़ी सवारियों को लेकर आ रही थी। बस के कंटेनर से टकराने पर कई सवारियों को भी चोट आई और एक बड़ा हादसा होने से टल गया। बस के चालक व परिचालक बाल-बाल बच गए। बस में बैठी सवारियों की चीख सुन आसपास के लोग एकत्रित हुए और सभी को बस से बाहर सुरक्षित निकाला।

कई बसें मार्ग में हो गई ब्रेकडाउन

गत माह दिल्ली और जयपुर रूट की कई किलोमीटर स्कीम बसें रास्ते में बंद हो गर्इ। इन बसों के रास्ते में ब्रेकडाउन होने के बाद एक ओर जहां यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो दूसरी ओर परिचालकों को दूसरी बसों में यात्री बैठाने के लिए काफी मिन्नतें करनी पड़ी। दूसरे राज्यों और डिपो की बसों ने ब्रेकडाउन बसों के यात्रियों को अपनी बसों में बैठाना तक बंद कर दिया। इसका कारण लीज की बसों का आए दिन लंबे रूटों पर खराब होना है। रास्ते में बसों के खराब होने के बाद चालक-परिचालकों को यात्रियों के गुस्से का शिकार तक होना पड़ता है।

बसों का रास्ते में ही खत्म हो रहा डीजल

रोडवेज स्कीम की बसों का बस स्टैंड से चलने के बाद रास्ते में ही डीजल खत्म हो जाता है। इन बसों को वर्कशॉप के पंप से डीजल लेने की व्यवस्था है। इसके बावजूद बसों का रास्ते में डीजल खत्म होना ऑपरेटर की कार्यशैली पर सवालियां निशान लगा रहा है। परिचालकों को प्राइवेट पेट्रोल पंपों से डीजल खरीद कर बसों को आगे बढ़ाना पड़ता है।

ठेकेदार की कमी से यात्रियों की जोखिम में जान

रोडवेज परिचालकों का कहना है कि अधिकांश किलोमीटर स्कीम की बसों की मेंटिनेंस समय पर नहीं हो पा रही। ठेकेदार सड़कों पर अनफिट बसें दौड़ा रहा है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में इन बसों से कई बार हादसे हो भी चुके हैं। कई बसों के तो इंडिकेटर और लाइटें तक खराब पड़ी हैं। बस खराब होने के बाद उसके चालक को बदल दिया जाता है, लेकिन बस की मेंटिनेंस नहीं कराई जाती। नए चालक को बस की तकनीकी खराबी के बारे में कोई जानकारी नहीं होती।

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