सोनीपत: अपनी मांगों को लेकर जिला पार्षदों ने सिर पर गठड़ी लेकर घोड़ी पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। जिला परिषद की प्रस्तावित बैठक में हिस्सा लेने पहुंचें जिला पार्षदों ने इस दौरान सरकार विरोधी नारेबाजी की। जिला पार्षद संजय बड़वासनी घोड़ी पर बैठ सिर पर गठरी रखकर साथी जिला पार्षदों के साथ रोष जताते हुए पुलिस लाइन से अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय स्थित डीआरडीए हॉल तक पहुंचे। इस दौरान जिला पार्षदों ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
पार्षदों के सिर विकास कार्यों का बोझ
जिला पार्षद संजय बड़वासनी ने कहा कि सिर पर गठरी रखने का मतलब यह है कि सभी जिला पार्षदों पर उनके क्षेत्र के 16 से 20 गांवों में विकास कार्य कराने का बोझ है। उन्हें इन गांवों में विकास के लिए सांसद व विधायक की तर्ज पर वर्ष में एक बार कोटा दिया जाए, जिससे वह गांवों में विकास कार्य करवा सकें। विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर से बहुत कम ग्रांट दी जा रही है। उनकी सरकार से मांग है कि प्रत्येक पार्षद को ग्रांट के अतिरिक्त एक करोड़ रुपए मुहैया करवाया जाए। नगर निगम पार्षद करोड़ों रुपए प्रति वर्ष लगा रहे हैं। वहीं, जिला पार्षद की ओर से दो वर्ष में 40 से 45 लाख रुपए ही लगाए जा रहे हैं। सरकार ने जिला पार्षदों के हाथ बांधने का काम किया है।
सम्मान बचाने की लड़ रहे लड़ाई
जिला पार्षद संत कुमार ने कहा कि उन्हें अपना सम्मान बचाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। जब सरपंचों को ग्रांट के साथ 20 लाख रुपए तक के विकास कार्य करवाने की छूट दी गई है तो जिला पार्षदों को भी न्याय दिया जाए। उनकी मांग है कि उन्हें भी नगर निगम पार्षदों की तरह ग्रांट मुहैया करवाई जाए, ताकि वह विकास कार्यों को गति प्रदान कर सकें। उनके साथ देवेंद्र, कुलदीप, राजेश, यशपाल, विकास, जयसिंह ठेकेदार, सुरेंद्र मलिक, रवि इंदौरा समेत अन्य जिला पार्षद भी मौजूद रहे।
निगम में 15 हजार भत्ता, जिला पार्षद को 6 हजार
जिला पार्षदों ने कहा कि उनके साथ भत्ते के नाम पर भी भेदभाव किया जा रहा है। नगर निगम को 15 हजार रुपए भत्ता मुहैया करवाया जा रहा है, जबकि उन्हें मात्र 6 हजार रुपए ही भत्ता दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री को जिला पार्षदों की ओर से मांग पत्र सौंपा गया है। सरकार उनके मांग पत्र पर विचार कर मांगों को पूरा करें, ताकि वह भी अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करवा सकें। उनकी मांगों पर सुनवाई की जाए अन्यथा वह अलग-अलग ढंग से अपना रोष प्रदर्शन जारी रखेंगे।